डिजाइन फोटो
Hathua Assembly Constituency: बिहार के गोपालगंज जिले की हथुआ विधानसभा सीट आगामी चुनाव में एक बार फिर राजनीतिक दलों के लिए रणनीतिक रूप से अहम बन गई है। यह सीट न केवल लालू प्रसाद यादव के पैतृक गांव फुलवरिया से जुड़ी है, बल्कि राज्य की सत्ता के रुझानों को भी प्रभावित करने की क्षमता रखती है।
हथुआ विधानसभा क्षेत्र गोपालगंज लोकसभा सीट का हिस्सा है और राजनीतिक दृष्टि से इसकी पहचान लालू यादव के गृह क्षेत्र के रूप में होती है। यहां की राजनीति लंबे समय तक राजद के लिए चुनौती बनी रही, लेकिन 2020 में पार्टी ने पहली बार जीत दर्ज कर अपनी खोई हुई पकड़ को फिर से हासिल किया। यह जीत राजद के लिए प्रतीकात्मक और रणनीतिक दोनों ही दृष्टि से महत्वपूर्ण रही।
भौगोलिक रूप से हथुआ पश्चिमी गंगा के उपजाऊ मैदान में स्थित है। जलोढ़ मिट्टी की अधिकता के कारण यहां धान, गेहूं, मक्का और गन्ना जैसी फसलें बड़े पैमाने पर उगाई जाती हैं। कृषि यहां की मुख्य आर्थिक धुरी है, हालांकि डेयरी व्यवसाय और छोटे व्यापार भी स्थानीय जीवन का हिस्सा हैं। रोजगार की कमी और सीमित औद्योगिक अवसरों के कारण पलायन एक बड़ी सामाजिक चुनौती बनी हुई है।
हथुआ गोपालगंज जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दक्षिण में स्थित है। इसके पूर्व में मीरगंज, दक्षिण-पश्चिम में सिवान और छपरा की सीमाएं लगती हैं। राजधानी पटना से इसकी दूरी करीब 160 किलोमीटर है। सिवान-गोपालगंज रेल लाइन पर स्थित हथुआ और मीरगंज रेलवे स्टेशन इस क्षेत्र को राज्य के अन्य हिस्सों से जोड़ते हैं, जिससे आवागमन की सुविधा बेहतर हुई है।
राजनीतिक रूप से हथुआ विधानसभा क्षेत्र में हथुआ और फुलवरिया प्रखंडों के अलावा उच्चकागांव ब्लॉक की चार ग्राम पंचायतें—जमसर, त्रिलोकपुर, मोहैचा और बलेसरा—शामिल हैं। साथ ही मीरगंज नगर पंचायत भी इस क्षेत्र का हिस्सा है। यह विविधता इसे सामाजिक और राजनीतिक रूप से जटिल बनाती है।
2008 में क्षेत्र के गठन के बाद पहले दो चुनावों में जदयू ने जीत दर्ज की। राजद को यहां पहली बार 2020 में सफलता मिली, जब उसने जदयू को कड़ी टक्कर देकर सीट अपने नाम की। इससे पहले, लालू यादव के गृह क्षेत्र होने के बावजूद राजद को लगातार हार का सामना करना पड़ा था। 2020 की जीत ने पार्टी को नई ऊर्जा दी और क्षेत्र में उसकी स्थिति को मजबूत किया।
हथुआ की राजनीति में जातीय समीकरणों की भूमिका बेहद अहम है। यादव, राजपूत, ब्राह्मण, बनिया, कुशवाहा और दलित समुदाय यहां के प्रमुख मतदाता समूह हैं। यादवों की बहुलता राजद के पक्ष में जाती है, जबकि राजपूत और ऊपरी जातियों का झुकाव आमतौर पर जदयू या भाजपा की ओर देखा गया है। मुस्लिम मतदाता, विशेषकर मीरगंज और फुलवरिया क्षेत्रों में, कई बार चुनावी समीकरणों को निर्णायक रूप से प्रभावित करते हैं।
2024 के चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, हथुआ विधानसभा क्षेत्र की कुल जनसंख्या 5.29 लाख से अधिक है। मतदाता सूची में 3.20 लाख से अधिक नाम दर्ज हैं, जिनमें पुरुषों की संख्या थोड़ी अधिक है। महिलाओं और थर्ड जेंडर मतदाताओं की भागीदारी भी उल्लेखनीय है, जो चुनावी रुझानों को प्रभावित कर सकती है।
ये भी पढ़ें : बिहार विधानसभा चुनाव 2025: समस्तीपुर में फिर कांटे की टक्कर, क्या राजद बचा पाएगी अपनी सीट?
हथुआ विधानसभा सीट पर 2025 का चुनाव केवल एक क्षेत्रीय मुकाबला नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति की दिशा तय करने वाला एक महत्वपूर्ण संकेतक होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या राजद अपनी पकड़ बनाए रखेगा या कोई नया समीकरण इस सियासी गढ़ की तस्वीर बदल देगा।