सूर्यगढ़ा विधानसभा सीट (सोर्स- डिजाइन)
Suryagarha Assembly Constituency: बिहार के लखीसराय जिले की सूर्यगढ़ा विधानसभा सीट एक बार फिर चुनावी चर्चा में है। मुंगेर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाली यह सीट राजनीतिक इतिहास, धार्मिक आस्था और सामाजिक समीकरणों का अनोखा मिश्रण है। आगामी चुनाव में यहां कौन बाजी मारेगा, यह सवाल मतदाताओं के बीच गूंजने लगा है।
सूर्यगढ़ा विधानसभा क्षेत्र पिपरिया, सूर्यगढ़ा और चानन तीन प्रखंडों को मिलाकर बना है। यह लखीसराय जिला मुख्यालय से लगभग 8 किलोमीटर पश्चिम में स्थित है। उपजाऊ भूमि और गंगा की निकटता इसे कृषि के लिए अनुकूल बनाती है, जिससे यहां की अर्थव्यवस्था मुख्यतः खेती पर आधारित है।
1990 तक इस सीट पर कांग्रेस और वाम दलों का दबदबा रहा। कांग्रेस और सीपीआई ने चार-चार बार जीत दर्ज की। 2005 और 2010 में भाजपा के प्रेम रंजन पटेल ने जीत हासिल कर पार्टी की पकड़ मजबूत की। हालांकि, जदयू अब तक इस सीट पर जीत दर्ज नहीं कर सकी है, जिससे यह उसके लिए चुनौतीपूर्ण बना हुआ है।
2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के प्रहलाद यादव ने कांग्रेस के रामानंद मंडल को हराकर जीत दर्ज की। प्रहलाद यादव इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली नेताओं में गिने जाते हैं, जिन्होंने अब तक पांच बार विधायक के रूप में सेवा दी है। उनकी लोकप्रियता और संगठन क्षमता राजद को इस सीट पर मजबूती देती है।
सूर्यगढ़ा का इतिहास भी इसे विशिष्ट बनाता है। 1534 में यहीं शेरशाह सूरी और हुमायूं के बीच ऐतिहासिक युद्ध हुआ था, जिसमें शेरशाह ने विजय प्राप्त कर दिल्ली सल्तनत पर कब्जा किया। यह युद्ध ‘सूरजगढ़ा का युद्ध’ के नाम से जाना जाता है और क्षेत्र की ऐतिहासिक पहचान को रेखांकित करता है।
धार्मिक दृष्टि से सूर्यगढ़ा का महत्व कम नहीं है। माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने पास की पहाड़ी पर तीन वर्षों तक तपस्या की थी। श्रृंगी ऋषि धाम यहां का प्रमुख धार्मिक स्थल है, जहां पुत्र प्राप्ति की मान्यता जुड़ी हुई है। यह स्थान प्रभु श्रीराम से भी जुड़ा माना जाता है। इसके अलावा, क्षेत्र में कई छोटे मंदिर और शिवालय हैं, जो श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र हैं।
सूर्यगढ़ा की सामाजिक बनावट बहुजातीय है, जिसमें यादव, भूमिहार, ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम समुदायों की भागीदारी उल्लेखनीय है। जातीय समीकरण यहां हर चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं। भाजपा अपने पुराने जनाधार को फिर से सक्रिय करने की कोशिश में है, जबकि राजद अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए रणनीति तैयार कर रही है।
आगामी विधानसभा चुनाव में सूर्यगढ़ा में भाजपा और राजद के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिल सकता है। जदयू अब तक यहां जीत नहीं दर्ज कर सकी है, लेकिन गठबंधन के तहत उसकी भूमिका अहम हो सकती है। स्थानीय मुद्दे, विकास की गति और उम्मीदवार की छवि इस बार भी चुनावी परिणाम को प्रभावित करेंगे।
यह भी पढ़ें: बिहार विधानसभा चुनाव 2025: भोरे में कांटे की टक्कर, लालू के गढ़ में जदयू को फिर चुनौती
सूर्यगढ़ा विधानसभा सीट पर 2025 का चुनाव केवल दलों की ताकत की परीक्षा नहीं, बल्कि जनता की सोच, ऐतिहासिक विरासत और सामाजिक संतुलन की कसौटी भी होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा अपनी पुरानी पकड़ दोबारा हासिल कर पाएगी या राजद फिर से जीत का सिलसिला जारी रखेगा।