एनडीए नेताओं के साथ धर्मेंद्र प्रधान (सोर्स- सोशल मीडिया)
Bihar Assembly Elections: बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान अब कभी भी हो सकता है। मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने रविवार को पटना में इसके संकेत दिए। चुनाव नज़दीक आते ही एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर चल रही खींचतान अब लगभग खत्म होने वाली है।
केंद्रीय मंत्री और बिहार भाजपा के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को जेडीयू, हम और आरएलपी के नेताओं के साथ बैठक की और 243 विधानसभा सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले को लगभग अंतिम रूप दे दिया। हालांकि, अभी तक कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया है।
सूत्र बताते हैं कि इस बार भी जेडीयू और भाजपा ने अपनी संख्या बल और रणनीतिक प्रभाव को मज़बूत करते हुए सीटों के बंटवारे में अहम भूमिका निभाई और छोटे सहयोगियों को त्याग करने पर मजबूर किया। हालांकि, चिराग पासवान को लोकसभा चुनाव में उनके प्रदर्शन का बड़ा इनाम मिला।
रविवार को धर्मेंद्र प्रधान ने एनडीए के लगभग सभी घटक दलों के नेताओं से एक-एक करके मुलाकात की। सबसे पहले उन्होंने जेडीयू के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह से मुलाकात की। कुछ ही देर बाद धर्मेंद्र प्रधान और राज्य के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी के आवास पहुंचे और उनसे बातचीत की।
इसके बाद धर्मेंद्र प्रधान ने एनडीए के एक अन्य सहयोगी, राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की। प्रधान ने अभी तक लोजपा (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान से मुलाकात नहीं की है। हालाँकि, कहा जा रहा है कि चिराग पासवान के साथ सीट बंटवारे पर बातचीत पूरी हो गई है।
इस बार, बिहार की 243 विधानसभा सीटों को लेकर एनडीए के भीतर गठबंधन दलों के बीच गहन बातचीत हुई। बिहार भाजपा प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने जदयू, हम, लोजपा (रामविलास) और आरएलपी के अध्यक्षों से बात की। सूत्रों के अनुसार, सीट बंटवारे के अंतिम फॉर्मूले में जदयू-108 सीटें, भाजपा-107 सीटें, लोजपा (रामविलास)-22, हम-3 और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 3 सीटें मिल सकती हैं।
चिराग पासवान की पार्टी लोकसभा चुनाव में 100% स्ट्राइक रेट का फ़ायदा उठाती दिख रही है। एनडीए में चिराग पासवान को 20 से 22 सीटें दी जा सकती हैं। कुशवाहा और मांझी को समझा दिया गया है कि मौजूदा हालात में तीन से ज़्यादा सीटें मिलना संभव नहीं है।
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इसलिए एनडीए के भीतर मांझी और कुशवाहा को त्याग करना होगा। भाजपा और जदयू किसी भी हालत में 105 से कम सीटों पर चुनाव लड़ने को तैयार नहीं हैं। नतीजतन, हम (HAM) को पिछले चुनाव की तुलना में चार सीटों का नुकसान हुआ है, जबकि पिछली बार उसने सात सीटों पर चुनाव लड़ा था।
कुल मिलाकर, सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते जदयू ज़्यादातर सीटें जीत रही है। भाजपा ने भी काफ़ी सीटें बरकरार रखी हैं। हम (HAM) और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (RLP) को भी सीमित सीटें मिलीं। हालांकि चिराग पासवान की पार्टी लोजपा को ज़्यादा सीटें मिलीं, लेकिन 40 से ज़्यादा सीटों की उनकी मांग को नज़रअंदाज़ कर दिया गया। धर्मेंद्र प्रधान ने सभी घटक दलों से मुलाकात कर अंतिम सहमति ले ली है।