
कॉन्सेप्ट फोटो (डिजाइन)
Bihar BJP President: जब से बिहार में भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल मंत्री बने हैं, सोशल मीडिया पर अगले या नए प्रदेश अध्यक्ष के नाम को लेकर अटकलें शुरू हो गई हैं। आमतौर पर “एक व्यक्ति, एक पद” के सिद्धांत पर चलने वाली बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव लगभग तीन साल से टलता आ रहा है।
मौजूदा अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जनवरी 2024 में खत्म होने वाला था, लेकिन लोकसभा चुनाव के लिए उन्हें जो एक्सटेंशन मिला था उसे किसी भी तरह से बढ़ाया जा रहा है। इसलिए बीजेपी के बिहार में नया प्रदेश अध्यक्ष चुनने में किसी भी तरह की जल्दबाजी करेगी इसकी संभावना बहुत कम ही है।
इसके बावजूद सियासी गलियारों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। रेस में सबसे आगे पूर्व सीएम जगन्नाथ मिश्रा के बेटे नीतीश मिश्रा हैं, जिन्हें इस बार मंत्री नहीं बनाया गया है। नीतीश कैबिनेट के 26 मंत्रियों में मंगल पांडे अकेले ब्राह्मण हैं। जेडीयू से पहली बार मंत्री बने नीतीश मिश्रा 2015 में बीजेपी में शामिल हो गए थे। पिछली सरकार में वे इंडस्ट्री मिनिस्टर थे, यह पोर्टफोलियो अब दिलीप जायसवाल को दिया गया है।
अपने पिता जगन्नाथ मिश्रा की सीट झंझारपुर से पांचवीं बार जीतने वाले नीतीश मिश्रा को लेकर लोग कह रहे हैं कि पार्टी ने उनके बारे में कुछ बड़ा सोचा गया है इसीलिए उन्हें कैबिनेट से बाहर रखा गया है। एनडीए ने मिथिला की 37 में से 31 सीटें जीतीं। दरभंगा-मधुबनी की 20 में से 19 सीटें ग्रैंड अलायंस हार गया। महागठबंधन ने जो छह सीटें जीतीं हैं- उनमें समस्तीपुर की तीन और बेगूसराय की दो सीटें शामिल हैं।
एक नाम जनक राम का भी है जिन्हें इस बार नीतीश के मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली है। इस बार कैबिनेट में पांच दलित मंत्री हैं, जिनमें लखेंद्र रोशन बीजेपी से अकेले हैं। बाकी चार दलित मंत्री हैं- जेडीयू के अशोक चौधरी और सुनील कुमार, एलजेपी के संजय पासवान और एचएएम के संतोष सुमन मांझी।
पीएम नरेंद्र मोदी से प्रभावित होकर 2013 में बीएसपी से बीजेपी में शामिल हुए जनक राम 2014 में गोपालगंज से बीजेपी के सांसद बने। 2019 में जब जेडीयू सीट हार गई, तो उन्हें बाद में एमएलसी बनाया गया और फिर वे नीतीश कुमार सरकार में दो बार मंत्री रहे। जानकार कह रहे हैं कि उन्हें इसलिए हटाया गया क्योंकि बीजेपी अपना अगला प्रेसिडेंट किसी दलित को चुन सकती है।
पटना जिले की दीघा सीट से लगातार तीसरी बार विधायक बने संजीव चौरसिया को भी अगले बीजेपी प्रदेश प्रेसिडेंट के लिए चुना जा रहा है। संजीव चौरसिया का परिवार आरएसएस से जुड़ा रहा है और उनके पिता जनसंघ के ज़माने से ही बीजेपी के साथ हैं। उनका बिज़नेस परिवार पार्टी के संघर्षों का हिस्सा रहा है। संजीव के पिता गंगा प्रसाद 1980 में बीजेपी बनने के बाद बिहार में पार्टी के कोषाध्यक्ष बने थे।
गंगा प्रसाद 1994 में पार्टी द्वारा एमएलसी चुने गए और अगले तीन टर्म तक लेजिस्लेटिव काउंसलर रहे। बाद में गंगा प्रसाद को मेघालय और सिक्किम का गवर्नर भी बनाया गया। संजीव चौरसिया 2015 से लगातार दीघा से जीत रहे हैं। संघ और पार्टी में उनके काम की वजह से उनके मंत्री बनने की बातें हो रही थीं, लेकिन अब जब सरकार में उनकी बारी नहीं आई है, तो चर्चा है कि संगठन में उनकी बारी आएगी।
नवादा लोकसभा सीट से भूमिहार सांसद विवेक ठाकुर का नाम भी बिहार बीजेपी चीफ के लिए कंसीडर किया जा सकता है। विवेक के पिता सीपी ठाकुर भाजपा के स्टेट प्रेसिडेंट और केन्द्र में मंत्री रह चुके हैं। नीतीश कुमार की मौजूदा कैबिनेट में दो भूमिहार मिनिस्टर हैं- बीजेपी से विजय कुमार सिन्हा और जेडीयू से विजय कुमार चौधरी।
यह भी पढ़ें: जंगलराज के खौफ…और अदृश्य शक्तियों ने हरा दिया चुनाव, बिहार इलेक्शन में हार पर PK का सबसे बड़ा बयान
एनडीए के 202 विधायक में से 22 भूमिहार हैं। इसलिए तीन या चार भूमिहारों के मंत्री बनने की अटकलें थीं। 32 विधायकों वाली राजपूत जाति ने चार मंत्री पद हासिल किए हैं। विवेक ठाकुर का नाम लेने वाले कह रहे हैं कि पार्टी नया अध्यक्ष भूमिहार जाति से बना सकती है, क्योंकि ब्रह्मर्षि समाज को नीतीश कैबिनेट में विधायकों के हिसाब से भागीदारी नहीं मिली है।






