रामनगर विधानसभा सीट, डिजाइन फोटो (नवभारत)
Ram Nagar Assembly Seat Profile: अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पश्चिम चंपारण जिले की रामनगर विधानसभा सीट वाल्मीकि नगर संसदीय क्षेत्र का हिस्सा है। और पिछले तीन दशकों में भाजपा ने यहां जिस तरह से अपनी जड़ें मजबूत की हैं, वह संगठन की ताकत और जनविश्वास का प्रमाण देता है।
रामनगर में भाजपा ने पहली बार 1990 में जीत दर्ज की थी, जब चंद्र मोहन राय ने कांग्रेस के लंबे समय से चले आ रहे वर्चस्व को तोड़ा। इसके बाद 2005 में उन्होंने फिर जीत हासिल की। 2010 से 2020 तक भागीरथी देवी ने लगातार तीन बार जीत दर्ज कर भाजपा को स्थायी जनाधार दिलाया। उनकी लोकप्रियता और पार्टी की संगठनात्मक मजबूती ने इस सीट को भाजपा का गढ़ बना दिया।
1967 से 1985 तक कांग्रेस ने लगातार छह बार इस सीट पर जीत दर्ज की थी। 1995 में जनता दल ने एक बार जीत हासिल की, लेकिन इसके बाद से भाजपा ने लगातार छह चुनावों में जीत दर्ज कर अपनी स्थिति मजबूत की। अब तक हुए 15 विधानसभा चुनावों में भाजपा की सात जीत इस बात का संकेत है कि पार्टी ने जातीय और सामाजिक समीकरणों को साधने में सफलता पाई है।
रामनगर सीट 1962 में सामान्य श्रेणी के रूप में अस्तित्व में आई थी, लेकिन 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया। इसका असर 2010 के चुनाव से स्पष्ट रूप से देखने को मिला, जब भाजपा ने आरक्षित वर्ग में भी अपनी पकड़ बनाए रखी।
रामनगर का सामाजिक ताना-बाना बेहद विविध है। परंपरागत रूप से राजपूत समुदाय का प्रभाव रहा है, जबकि ब्राह्मण, वैश्य, यादव, मुस्लिम और दलित मतदाता भी चुनावी परिणामों को प्रभावित करते हैं। थारू और अन्य आदिवासी समुदायों की उपस्थिति भी उल्लेखनीय है, हालांकि इनका वोट अब तक विभाजित रहा है। यह मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्र है, जहां शहरी मतदाता केवल 19.40 प्रतिशत हैं।
रामनगर न केवल राजनीतिक बल्कि सांस्कृतिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहां स्थित सुमेश्वर किला नेपाल सीमा से सटे सोमेश्वर की पहाड़ी पर स्थित है, जो पर्यटकों को आकर्षित करता है। पत्थरों से बने कुंड और हिमालय की पर्वत श्रृंखलाओं का दृश्य इसे दर्शनीय स्थल बनाता है।
इसी क्षेत्र में स्थित नीलकंठ नर्मदेश्वर मंदिर उत्तर बिहार का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल है। सावन माह में यहां लाखों श्रद्धालु भगवान शिव को जल चढ़ाने आते हैं। उत्तर प्रदेश और नेपाल से भी भक्त यहां पहुंचते हैं। राज शिव मंदिर के नाम से विख्यात यह स्थल सांस्कृतिक उत्सवों का केंद्र बन चुका है, जहां सावन और दशहरा पर भव्य मेले का आयोजन होता है।
रामनगर में भाजपा की पकड़ मजबूत है, लेकिन 2025 के चुनाव में जनता का रुख तय करेगा कि यह स्थिति बरकरार रहेगी या बदलाव की बयार बहेगी। जातीय संतुलन, सामाजिक समीकरण और धार्मिक आस्थाएं इस बार भी चुनावी रणनीति का हिस्सा होंगी। विपक्ष यदि स्थानीय मुद्दों को सही तरीके से उठाता है, तो मुकाबला दिलचस्प हो सकता है।
यह भी पढ़ें: बिहार विधानसभा चुनाव 2025: तेघरा में सीपीआई की साख पर फिर परीक्षा, क्या बदलेगा सियासी समीकरण?
रामनगर विधानसभा सीट पर इस बार का चुनाव न केवल राजनीतिक दलों की परीक्षा है, बल्कि यह क्षेत्र की सामाजिक चेतना और विकास की दिशा तय करने वाला भी साबित हो सकता है। जनता का फैसला ही तय करेगा कि भाजपा की जड़ें और गहरी होंगी या कोई नया समीकरण उभरकर सामने आएगा।