
कांटी विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Kanti Assembly Constituency: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित कांटी विधानसभा क्षेत्र एक सामान्य वर्ग की सीट है, जो वैशाली लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। राजनीतिक और औद्योगिक, दोनों दृष्टियों से कांटी का विशेष महत्व है। इस क्षेत्र की प्रमुख पहचान कांटी थर्मल पावर प्लांट और मां छिन्नमस्तिका मंदिर से है। आगामी Bihar Assembly Election 2025 में यह सीट एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और जनता दल यूनाइटेड (जदयू) के बीच कांटे की टक्कर का केंद्र बनी हुई है।
1951 में स्थापित कांटी विधानसभा क्षेत्र अब तक 17 विधानसभा चुनावों का साक्षी रहा है। यहां कांग्रेस का शुरुआती वर्चस्व देखने को मिला। शुरुआती दशकों में यहाँ कांग्रेस पार्टी का वर्चस्व रहा, जिसने 1952 से 1972 के बीच पांच बार जीत दर्ज की।
क्षेत्रीय दलों का उदय: इसके बाद समाजवादी एकता केंद्र, जनता दल, जनता दल (यूनाइटेड) और राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने दो-दो बार जीत दर्ज की। लोकतांत्रिक कांग्रेस, जनता पार्टी, लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और एक निर्दलीय उम्मीदवार ने भी एक-एक बार जीत हासिल की।
कांटी की राजनीति में पिछले एक दशक में निर्दलीय उम्मीदवारों और दल-बदल का प्रभाव रहा है। 2015 के चुनाव में निर्दलीय उम्मीदवार अशोक कुमार चौधरी ने हम पार्टी के अजीत कुमार को हराया था। फिर 2020 के चुनाव में राजद उम्मीदवार इसराइल मंसूरी ने जदयू के मो. जमाल को हराकर सीट अपने नाम की थी। इस जीत के साथ राजद ने लगभग 15 साल बाद इस सीट पर वापसी की।
आगामी Bihar Assembly Election 2025 में मुकाबला दिलचस्प है, जहाँ 13 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं:
राजद (महागठबंधन): राजद ने वर्तमान विधायक इसराइल मंसूरी पर फिर से विश्वास जताया है (सीट बरकरार रखने की चुनौती)।
जदयू (NDA): जदयू ने अजित कुमार को उतारा है, जो अपनी खोई हुई सीट वापस पाने का प्रयास कर रहे हैं।
जन सुराज पार्टी: सुदर्शन मिश्रा को अपना प्रत्याशी बनाया है, जो ब्राह्मण वोटों में सेंध लगा सकते हैं। उससे दूसरे उम्मीदवारों का वोच कटने की संभावना है।
कांटी विधानसभा में जातीय समीकरण परिणाम को प्रभावित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ पर यादव, कुर्मी, राजपूत और कोइरी समुदायों की बड़ी आबादी है। लेकिन भूमिहार, मुस्लिम और पासवान मतदाता भी यहाँ के चुनावी परिणामों में निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
राजद के इसराइल मंसूरी (मुस्लिम) के लिए यादव और मुस्लिम (M-Y) समीकरण सबसे मजबूत आधार है, जबकि जदयू के अजीत कुमार (भूमिहार) को भूमिहार, कुर्मी और राजपूत वोटों को एकजुट करना होगा।
कांटी की राजनीति औद्योगिक और धार्मिक महत्व के बीच संतुलन साधती है। यहां की प्रमुख समस्या राख की है। स्थानीय जनता थर्मल पावर प्लांट से निकलने वाली राख (छाई) और ग्रामीण सड़कों के निर्माण की मांग प्रमुख रूप से शामिल है। यह मुद्दा सीधे तौर पर पर्यावरण और स्वास्थ्य से जुड़ा है।
यहां पर मां छिन्नमस्तिका मंदिर (सिद्ध पीठ) और राम जानकी मंदिर स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र हैं। जहां दूर-दूर से लोग आते हैं।
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कांटी विधानसभा सीट पर बिहार चुनाव 2025 का मुकाबला राजद की 15 साल बाद की गई वापसी को बरकरार रखने की चुनौती और जदयू की सीट वापस लेने की जिद के बीच केंद्रित रहेगा। इसराइल मंसूरी के सामने थर्मल पावर प्लांट से जुड़ी समस्याओं पर जनता की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की चुनौती है। यादव-मुस्लिम गोलबंदी बनाम कुर्मी-भूमिहार-राजपूत गठजोड़ ही इस बार Bihar Politics में कांटी के अगले विधायक का फैसला करेगा।






