
मेडिटेशन (सौ.सोशल मीडिया)
Importance of World Meditation Day: सुबह की शुरूआत के साथ मेडिटेशन करना बेहद जरूरी होता है। इस बात को बताने के लिए हर साल 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस ( World Meditation Day) मनाया जाता है। यह दिन पूरे विश्व में ध्यान को जीवन में बढ़ावा देने के लिए मनाते है। आजकल भागदौड़ भरी जिंदगी में हर कोई तनाव और अवसाद की समस्या से ग्रसित होता है। इसके लिए ध्यान ही सबसे खास उपाय है जो इस समस्या से आपको राहत दिलाते है। मेडिटेशन केवल धार्मिक या आध्यात्मिक अभ्यास नहीं है, बल्कि एक वैज्ञानिक पद्धति भी है जो कई फायदे भी पहुंचाता है। ऐसे में आज यहां जानेंगे कि मेडिटेशन कितनी देर तक करना चाहिए और इसे करने का सही तरीका क्या है।
यहां पर विश्व ध्यान दिवस पर जानें तो, मेडिटेशन अगर सही तरीके से किया जाए तो, इसके फायदे शरीर को मिलते है। मेडिटेशन केवल धार्मिक या आध्यात्मिक अभ्यास नहीं है, बल्कि एक वैज्ञानिक पद्धति भी है जो कई फायदे भी पहुंचाता है। चलिए जान लेते है किन लोगों के लिए मेडिटेशन जरूरी है।
शुरुआती लोगों के लिए- अगर आप पहली बार ध्यान शुरू कर रहे हैं, तो बहुत देर तक बैठने की कोशिश न करें। शुरुआत में केवल 5-10 मिनट का समय पर्याप्त है। इससे आपके मस्तिष्क को एकाग्र होने की आदत पड़ती है। समय से ज्यादा निरंतरता जरूरी है। रोज 5 मिनट करना हफ्ते में एक दिन 1 घंटा करने से कहीं ज्यादा बेहतर है।
नियमित अभ्यासियों के लिए- जब आपको बैठने की आदत हो जाए, तो आप धीरे-धीरे समय बढ़ा सकते हैं। तनाव कम करने, याददाश्त सुधारने और मानसिक शांति के लिए दिन में 15-20 मिनट का समय सबसे सही माना जाता है। आप चाहें तो 10-10 मिनट के दो सेशन (सुबह और शाम) भी कर सकते हैं। इसके अलावा कई अनुभवी लोग 30 से 45 मिनट तक ध्यान करते हैं। शोध बताते हैं कि 8 हफ्तों तक रोज लगभग 13-20 मिनट ध्यान करने से दिमाग की कार्यक्षमता में बड़े बदलाव आते हैं। वहीं कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि आपकी जितनी उम्र है, कम से कम उतने मिनट ध्यान करना चाहिए (जैसे 25 साल की उम्र में 25 मिनट)।
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यहां पर मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए मेडिटेशन करना सही होता है यह मन को शांत करने के साथ ही तनाव को दूर करने का काम करता है। इसे आप आसानी से अपने घर पर कर सकते है। इसके अलावा ऐसी जगह चुनें जहां कोई आपको परेशान न करे। सुबह का समय सबसे अच्छा माना जाता है, लेकिन आप अपनी सुविधा के अनुसार शाम या रात का समय भी चुन सकते हैं। इसकी प्रक्रिया में जमीन पर सुखासन (पालथी मारकर) बैठें या यदि जमीन पर बैठने में दिक्कत हो, तो कुर्सी पर बैठें। झुककर न बैठें, न ही शरीर को बहुत कड़ा रखें। हाथों को अपने घुटनों पर रखें (ज्ञान मुद्रा में या हथेलियां ऊपर की ओर)। अब धीरे धीरे धीरे से अपनी आंखें बंद करें। गहरी और लंबी सांस लें और धीरे से छोड़ें। अब अपनी सांस की नेचुरल गति पर ध्यान दें। महसूस करें कि हवा कैसे शरीर के अंदर जा रही है और कैसे बाहर आ रही है। मेडिटेशन का मतलब विचारों को रोकना नहीं है। जब मन में विचार आएं, तो उन्हें रोकें नहीं।
विचारों को एक “बादल” की तरह गुजरते हुए देखें और वापस अपना ध्यान अपनी सांसों पर ले आएं। जब आपका समय (शुरुआत में 5-10 मिनट) पूरा हो जाए, तो तुरंत आंखें न खोलें। अपने आसपास के वातावरण को महसूस करें। हथेलियों को आपस में रगड़ें, उन्हें आंखों पर रखें और फिर धीरे से आंखें खोलें।






