
ऑरोविल का शांत वातावरण (सौ. फ्रीपिक)
Auroville: भारत में आपने कई जगहों को देखा या सुना होगा लेकिन आपने ऑरोविल के बारे में शायद ही सुना होगा। यहां पर शहर का जीवन पारंपरिक तरीकों से नहीं बल्कि नए सोच के अनुसार चलता है। जिसकी वजह से इसका महत्व और बढ़ जाता है जहां पर कई लोग एक साथ बिना किसी धर्म को मनकर रहते हैं।
साल 1968 में एक प्रयोग के रुप में स्थापित ऑरोविल पुडुचेरी के पास 20 वर्ग किमी से भी ज्यादा क्षेत्र में फैला हुआ है। जहां पर अलग-अलग धर्मों और जाति के लोग रहते हैं। इस नगर का सिद्धांत शांति, सामंजस्य, स्थायी वातावरण में एक साथ रहना की भावना के इर्द गिर्द घूमता है।
इस अनोखे शहर की खास बात यहां के कैलेंडर की है। पारंपरिक तौर पर जिस तरह सोमवार से रविवार होता है लेकिन ऑरोविल अपने स्वयं के साप्ताहिक कार्यक्रम पर चलता है। यहां समुदाय के बनाए न्यूज एंड नोट्स कैलेंडर के हिसाब से जीवन चलता है।
पुदुचेरी के पास दक्षिण भारत में फैला यह अद्वितीय अनुभव केंद्रित नगर है जहां पारंपरिक समय अवधारणाओं को चुनौती दी जाती है और अपने रूप से जीवन को परिभाषित किया जाता है। इस छोटे से शहर की सबसे असाधरण बात इसका कैलेंडर और समय प्रबंधन है। इसके जरिए निवासी और पर्यटक अपनी गतिविधियों को निर्धारित करते हैं।
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ऑरोविल का प्रतीकात्मक केंद्र उसका सुनहरा मात्रीमंदिर है जो पूजा के लिए नहीं बल्कि आंतरिक ध्यान और मनन के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह संरचना शहर के मूल विचार आत्म-चिंतन और सामान्य व्यस्तता से ऊपर उठकर जीवन जीने को दर्शाती है। यहां के निवासी अक्सर ध्यान सत्रोंसांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामुदायिक परियोजनाओं में भाग लेते नजर आते हैं जबकि सप्ताहांत वास्तव में प्रायः व्यक्तिगत रचनात्मक कामों के लिए आरक्षित रहता है।
ऑरोविल की लाइफस्टाइल शहर की भागदौड़ से दूर मननशील, सामुदायिक और अर्थपूर्ण जीवन का विकल्प पेश करती है। जैसे जैसे लोग धीमी और संतुलित जीवन की ओर आकर्षित हो रहे हैं ऑरोविल आशा और प्रेरणा का प्रतीक बनकर उभर रहा है जो पारंपरिक समय और जीवन की सीमाओं को पुनर्विचार करने के लिए आमंत्रित करता है।






