
चिरैया विधानसभा, (कॉन्सेप्ट फोटो)
Chiraiya Assembly Constituency: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की राजनीतिक गहमागहमी के बीच, पूर्वी चंपारण जिले की चिरैया विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) का एक मजबूत गढ़ मानी जाती है। यह सीट न केवल चुनावी जीत के लिए, बल्कि अपनी भौगोलिक चुनौतियों, विशेषकर सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण और पलायन जैसे प्रमुख मुद्दों के कारण भी बिहार पॉलिटिक्स में महत्वपूर्ण है।
चिरैया की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि आधारित है। यहां बहने वाली बागमती नदी एक ओर जहां जीवनदायिनी है, वहीं दूसरी ओर बाढ़ के रूप में विनाश भी लाती है। यह नदी वरदान है, क्योंकि बरसात के मौसम में खेतों को पानी मिलता है, लेकिन शेष समय सिंचाई की कमी किसानों को परेशान करती है। पानी के संग्रहण और वितरण की अपर्याप्त व्यवस्था के कारण खेती एक अनिश्चित उद्यम बनी हुई है।
इस कृषि संकट और रोजगार के अवसरों की कमी के कारण, यहां के युवा दिल्ली, मुंबई और पंजाब जैसे बड़े शहरों की ओर पलायन करने को मजबूर हैं। इसके अलावा, शिक्षा, स्वास्थ्य और सड़क संपर्क जैसी बुनियादी सुविधाएं आज भी कमजोर हैं। भारत-नेपाल सीमा के पास स्थित होने के कारण तस्करी और अवैध प्रवेश जैसी समस्याएं भी हैं, जो सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए हमेशा एक बड़ा चुनावी मुद्दा रहती हैं।
चिरैया विधानसभा क्षेत्र 2008 के परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया, जिसमें चिरैया और पताही प्रखंड शामिल हैं। अपनी स्थापना के बाद से अब तक यहां तीन विधानसभा चुनाव (2010, 2015, 2020) हुए हैं, और तीनों बार इस सीट पर भाजपा ने जीत हासिल कर इसे अपना अभेद्य गढ़ साबित किया है।
2010 का चुनाव : पहली बार इस चुनाव में भाजपा के अवनीश कुमार सिंह ने राजद को 14,828 वोटों के बड़े अंतर से हराया।
2015 का चुनाव : इस चुनाव से पहले अवनीश कुमार सिंह को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था। इसके बावजूद भाजपा ने लाल बाबू प्रसाद गुप्ता को मौका दिया। जदयू के एनडीए से अलग होने और राजद से गठबंधन के बावजूद, गुप्ता ने 4,374 वोटों के करीबी अंतर से जीत बचाई, जो इस सीट पर भाजपा के मजबूत आधार को दर्शाता है।
2020 का चुनाव : जदयू के एनडीए में लौटने पर, लाल बाबू प्रसाद गुप्ता ने एक बार फिर राजद को 16,874 वोटों के बड़े अंतर से पराजित किया और भाजपा की हैट्रिक पूरी की।
आगामी Bihar Assembly Election 2025 के लिए भी भाजपा ने एक बार फिर लाल बाबू प्रसाद गुप्ता पर भरोसा जताया है, जिससे यह सीट लगातार चौथी जीत की राह पर आगे बढ़ रही है।
पूर्वी चंपारण लोकसभा सीट में भी चिरैया विधानसभा क्षेत्र भाजपा-जदयू गठबंधन की ताकत का प्रदर्शन करता रहा है।
लोकसभा चुनाव गठबंधन को बढ़त (वोटों में)
2009 21,888 (भाजपा)
2014 4,374 (भाजपा)
2019 54,972 (भाजपा)
2024 8,490 (जदयू)
ये आंकड़े बता रहे हैं कि यह क्षेत्र हमेशा एनडीए (NDA) के लिए एक भरोसेमंद वोट बैंक रहा है, जिसने Bihar Politics में भाजपा को मजबूती दी है।
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, क्षेत्र की कुल आबादी 5,08,987 है। मतदाताओं की संख्या 2,98,789 है, जिसमें 1,58,968 पुरुष और 1,39,810 महिलाएं शामिल हैं। 2020 में यहां 56.64 प्रतिशत मतदान हुआ था, जो ग्रामीण मतदाताओं की सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है।
यहां के लोगों के लिए सिंचाई, बाढ़ नियंत्रण, पलायन, उद्योग, शिक्षा और स्वास्थ्य प्रमुख और स्थायी मुद्दे हैं। Bihar Assembly Election 2025 में विरोधी दल निश्चित रूप से इन बुनियादी ढांचे की कमियों को भाजपा के खिलाफ भुनाने की कोशिश करेंगे। हालांकि, भाजपा का मजबूत संगठनात्मक आधार और लाल बाबू प्रसाद गुप्ता की व्यक्तिगत लोकप्रियता उन्हें एक मजबूत दावेदार बनाए हुए है।
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चिरैया विधानसभा सीट पूर्वी चंपारण में भाजपा का एक महत्वपूर्ण किला है, जिसे भेदना विपक्षी दलों के लिए आसान नहीं होगा। 2025 का चुनाव जहां लाल बाबू प्रसाद गुप्ता के लिए चौथी जीत की राह तय करेगा, वहीं सिंचाई और पलायन जैसे स्थानीय मुद्दे चुनाव की दिशा निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। यह सीट Bihar Politics में भाजपा की क्षेत्रीय पकड़ को और मजबूत कर सकती है।






