डिजाइन फोटो (नवभारत)
Hajipur Assembly Constituency: बिहार की राजनीति में हाजीपुर विधानसभा सीट का स्थान बेहद खास है। यह वैशाली जिले में स्थित है, जो गंगा नदी के पार राजधानी पटना से जुड़ा हुआ है। ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टि से यह क्षेत्र उत्तर बिहार का प्रवेश द्वार माना जाता है। हाजीपुर का नाम आते ही केले की मंडी, वैशाली की विरासत और दलित राजनीति के पुरोधा राम विलास पासवान की छवि सामने आ जाती है।
हाजीपुर न केवल कृषि और व्यापार का केंद्र है, बल्कि यह बिहार की सामाजिक और राजनीतिक चेतना का भी प्रतीक रहा है। यहां की उपजाऊ मिट्टी जितनी फसलें देती है, उतनी ही राजनीतिक हलचल भी पैदा करती है। इस क्षेत्र ने कई बार बिहार की सत्ता के समीकरणों को प्रभावित किया है।
हाजीपुर विधानसभा सीट सामान्य वर्ग के लिए खुली है, जबकि लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है। यही कारण है कि पासवान परिवार का प्रभाव लोकसभा चुनावों में अधिक रहा है। राम विलास पासवान ने यहां से कई बार रिकॉर्ड जीत दर्ज की, लेकिन विधानसभा स्तर पर उनका सीधा प्रभाव सीमित रहा है।
1951 में स्थापित इस सीट पर 21वीं सदी के आरंभ से भाजपा का वर्चस्व रहा है। नित्यानंद राय ने 2000 से चार बार जीत दर्ज की और पार्टी की जड़ें मजबूत कीं। 2014 में उनके लोकसभा जाने के बाद अवधेश सिंह ने उपचुनाव में जीत हासिल की और 2015 व 2020 में भी सीट बरकरार रखी। हालांकि, हर चुनाव में जीत का अंतर घटता गया और 2020 में राजद के देव कुमार चौरेशिया को मात्र 3 हजार वोटों से हराया गया।
2025 के विधानसभा चुनाव में हाजीपुर में भाजपा और राजद के बीच कड़ा मुकाबला तय माना जा रहा है। भाजपा अपने परंपरागत गढ़ को बचाने की कोशिश में है, जबकि महागठबंधन इस सीट पर सेंध लगाने की रणनीति बना रहा है। दोनों दलों की नजर जातीय समीकरणों और स्थानीय मुद्दों पर टिकी है।
हाजीपुर की सामाजिक बनावट चुनावी समीकरणों को गहराई से प्रभावित करती है। यहां अनुसूचित जाति के मतदाता 21 प्रतिशत से अधिक हैं, जो निर्णायक भूमिका निभाते हैं। मुस्लिम मतदाता भी लगभग 8 प्रतिशत हैं, जो गठबंधन की दिशा तय कर सकते हैं। यादव, ब्राह्मण, भूमिहार और बनिया समुदाय की भी बड़ी भागीदारी है, जिससे यह सीट बहुजातीय प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन जाती है।
राजद और महागठबंधन इस बार एससी और मुस्लिम मतदाताओं के एकीकरण पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। वहीं, भाजपा अपने पारंपरिक उच्च जाति और पिछड़े वर्ग के वोट बैंक को साधने के साथ-साथ चिराग पासवान के प्रभाव का लाभ उठाने की कोशिश कर रही है। चिराग, जो वर्तमान में हाजीपुर लोकसभा से सांसद हैं, भाजपा के लिए वोट ट्रांसफर कराने में अहम भूमिका निभा सकते हैं।
हाजीपुर वैशाली जिले का प्रमुख प्रशासनिक और वाणिज्यिक केंद्र है। यह पटना से महात्मा गांधी सेतु के जरिए जुड़ा हुआ है और राज्य के सबसे बड़े केले के थोक बाजारों में से एक है। यहां भगवान बुद्ध और महावीर की विरासत के साथ-साथ आधुनिक राजनीतिक संघर्ष की कहानी भी जुड़ी है, जो इसे एक विशिष्ट पहचान देती है।
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हाजीपुर विधानसभा सीट पर 2025 का चुनाव केवल दलों की ताकत की परीक्षा नहीं, बल्कि सामाजिक संतुलन, विकास की मांग और राजनीतिक समझदारी का भी प्रतिबिंब होगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या भाजपा अपनी पकड़ बनाए रखेगी या महागठबंधन इस गढ़ में सेंध लगाने में सफल होगा।