
दरौली विधानसभा सीट: CPI (ML)(L) का मजबूत किला! 2008 में आरक्षित होने के बाद भी वामपंथी पकड़ कायम
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार के सिवान जिले में स्थित दरौली विधानसभा क्षेत्र (Darauli Assembly Seat) अपने अनूठे और दिलचस्प राजनीतिक इतिहास के कारण राज्य की आरक्षित सीटों में खास महत्व रखता है। यह सीट अनुसूचित जाति (SC) के लिए आरक्षित है और जिले के पश्चिमी छोर पर उत्तर प्रदेश की सीमा से सटा हुआ है। भौगोलिक रूप से, घाघरा नदी के उपजाऊ मैदानों में बसे इस इलाके की अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार कृषि है, जहाँ धान, गेहूं और मौसमी सब्जियों की खेती व्यापक रूप से की जाती है। हालांकि, रोजगार के सीमित अवसरों के कारण बड़ी संख्या में लोग महानगरों की ओर पलायन भी करते हैं, जो हर चुनाव में एक प्रमुख मुद्दा बनता है।
दरौली विधानसभा क्षेत्र का गठन 1951 में हुआ था, लेकिन 2008 के परिसीमन के बाद इसे अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित घोषित कर दिया गया। अब तक इस क्षेत्र में 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। इस सीट का राजनीतिक इतिहास बेहद परिवर्तनशील रहा है, लेकिन इस पर वामपंथी ताकतों, विशेष रूप से भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) का गहरा और लंबे समय तक प्रभाव रहा है।
पुराना दौर: सीपीआई ने अब तक इस सीट से पाँच बार जीत दर्ज की है। इसके अलावा, कांग्रेस ने चार बार और भारतीय जनसंघ/भाजपा ने तीन बार जीत हासिल की।
1995 के बाद: 1995 के बाद से दरौली में वामपंथ का दबदबा लगातार मजबूत हुआ और सीपीआई (एमएल)(एल) ने अपनी संगठनात्मक जड़ों को मजबूत किया।
आरक्षण के बाद भी पकड़: 2010 में जब यह सीट आरक्षित हुई, तब भी वामपंथ ने अपनी पकड़ बनाए रखी। हालांकि 2010 के चुनाव में भाजपा के रामायण मांझी ने वाम उम्मीदवार को पराजित किया था। लेकिन, 2015 और 2020 में सीपीआई (एमएल)(एल) के सत्यदेव राम ने लगातार जीत दर्ज कर यह साबित कर दिया कि दरौली आज भी वाम विचारधारा की मजबूत जमीन है और महागठबंधन के भीतर वाम दल के लिए एक महत्वपूर्ण सीट है।
2024 के आंकड़ों के अनुसार, दरौली विधानसभा क्षेत्र की कुल मतदाताओं की संख्या 3,23,945 है। क्षेत्र का चुनावी गणित दो महत्वपूर्ण कारकों पर टिका है:
निर्णायक वोट बैंक: अनुसूचित जाति के मतदाताओं की संख्या यहाँ निर्णायक है, जो वामपंथी संगठनों के साथ-साथ अन्य प्रमुख दलों के लिए भी एक महत्वपूर्ण लक्ष्य है।
पलायन और मुद्दे: चूंकि यह क्षेत्र कृषि प्रधान है और यहाँ से बड़े पैमाने पर पलायन होता है, इसलिए रोजगार सृजन, सिंचाई सुविधा, और गंडक नदी से जुड़े मुद्दे यहाँ के मतदाताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। वामपंथी पार्टियाँ इन्हीं सामाजिक-आर्थिक मुद्दों को प्रमुखता से उठाकर अपनी पकड़ मजबूत बनाए रखती हैं।
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए दरौली एक दिलचस्प मुकाबला पेश करने वाली है, जहाँ एक ओर सीपीआई (एमएल)(एल) अपना गढ़ बचाने के लिए तैयार है, वहीं दूसरी ओर एनडीए (भाजपा) और अन्य क्षेत्रीय दल इस वामपंथी दबदबे को तोड़ने के लिए पूरी ताकत झोंकने की तैयारी में हैं।






