फोटो ट्रंप और ग्रीनलैंड ( सो. सोशल मीडिया )
वांशिगटनः अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप जोश से भरे हुए हैं। उन्होंने ऐलान किया है कि वह ‘ग्रेटर अमेरिका’ बनाएंगे। इसके लिए वह कनाडा, पनामा नहर और ग्रीनलैंड को अमेरिका में मिलाना चाहते हैं। ट्रंप की योजना ग्रीनलैंड को डेनमार्क से वापस लेने की है। इस मिशन के लिए उन्होंने अपने बेटे ट्रंप जूनियर को ग्रीनलैंड भेज भी दिया है।
डोनाल्ड ट्रंप जूनियर का विशेष विमान जैसे ही ग्रीनलैंड पहुंचा, वैश्विक राजनीति में हलचल मच गई। अब तक जो लोग डोनाल्ड ट्रंप के ग्रीनलैंड को अमेरिका में शामिल करने के बयान को मजाक समझ रहे थे, वे इसे अब गंभीरता से लेने लगे हैं।
This is a first and only look at Donald Trump Jr's historic trip to Greenland. We boarded Trump Force One in the early hours of the morning for the journey to a country that President-Elect Donald Trump insists will become part of the United States. pic.twitter.com/TYa26Y7VKO
— Art of the Surge (@ArtoftheSurge) January 8, 2025
इससे पहले, ट्रंप कनाडा को अमेरिका का 51वां राज्य बनाने की बात भी कह चुके हैं और कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो को पद छोड़ने पर मजबूर कर चुके हैं। अब यह साफ नजर आ रहा है कि यह ट्रंप के ‘ग्रेटर अमेरिका मिशन’ का हिस्सा है।
ट्रंप ने अपने दिए हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में ये साफ कर दिया है कि वह ग्रीनलैंड को खरीदने के लिए हर मुमकिन कदम उठाएंगे, जिसमें सैन्य कार्रवाई भी शामिल हो सकती है। उन्होंने डेनमार्क को ग्रीनलैंड बेचने का प्रस्ताव दिया है। डेनमार्क की कमजोर अर्थव्यवस्था और अमेरिका के दबाव के कारण यह सौदा मुमकिन लग रहा है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि आखिर ट्रंप ग्रीनलैंड को लेकर इतने उत्साहित क्यों हैं?
ग्रीनलैंड, जो दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है, 2.16 मिलियन वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। यह डेनमार्क के अधीन एक स्वायत्त क्षेत्र है। ट्रंप की इसमें दिलचस्पी इसलिए है क्योंकि यह अमेरिका के लिए सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। ग्रीनलैंड का भूगोल और संसाधन इसे एक खास जगह बनाते हैं, जिस पर अमेरिका का ध्यान लंबे समय से है।
ग्रीनलैंड में दुर्लभ खनिजों का बड़ा भंडार है। यहां तेल और गैस के भी पर्याप्त भंडार मौजूद हैं, जिनका अनुमान लगभग 50 बिलियन बैरल है। बर्फ के तेजी से पिघलने के कारण भविष्य में नए समुद्री मार्ग खुलने की संभावना है।
विदेश की अन्य ख़बरों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें!
2023 में प्रकाशित एक जियोलॉजिकल सर्वे के मुताबिक, अमेरिका के लिए जरूरी माने गए 50 खनिजों में से 37 ग्रीनलैंड में मध्यम या उच्च मात्रा में पाए जा सकते हैं। हालांकि, फिलहाल इन खनिजों के उत्पादन पर चीन का दबदबा है।
ग्रीनलैंड की जनसंख्या सिर्फ 56 हजार है और इसकी जीडीपी 3.3 बिलियन डॉलर है। अगर ग्रीनलैंड अमेरिका का हिस्सा बनता है, तो इससे अमेरिका का समुद्री व्यापार पर दबदबा बढ़ जाएगा। साथ ही, आर्कटिक में नए व्यापार मार्गों पर भी अमेरिका को बढ़त मिल जाएगी।
ग्रीनलैंड न केवल खनिजों के लिए बल्कि मीठे पानी के भंडार के लिए भी खास है। यह द्वीप लगभग एक चौथाई हिस्से में बर्फ की मोटी चादर से ढका हुआ है। इस बर्फ के नीचे दुनिया का 7% मीठा पानी जमा है। अगर अमेरिका ग्रीनलैंड को अपने नियंत्रण में ले लेता है, तो यह उसके लिए रणनीतिक रूप से बहुत फायदेमंद होगा। इससे अमेरिका भविष्य के खतरों का बेहतर तरीके से सामना कर पाएगा और अपनी सुरक्षा को और मजबूत बना सकेगा।
1867 में अमेरिका के राष्ट्रपति एंड्रयू जॉनसन ने रूस से अलास्का को 7.2 मिलियन डॉलर में खरीदा। उस समय रूस को लगा कि अलास्का उनके लिए आर्थिक बोझ है, इसलिए उन्होंने इसे बेच दिया। लेकिन बाद में यह सौदा अमेरिका के लिए फायदेमंद साबित हुआ। अलास्का खनिज संपदा से भरपूर है और सामरिक रूप से भी बेहद अहम है। आज रूस इस सौदे पर पछता रहा है।
ग्रीनलैंड दुनिया का सबसे बड़ा द्वीप है, जो खनिज संपदा और सामरिक दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसे अमेरिका का अगला अलास्का बनाने का सपना देख रहे हैं, क्योंकि इसमें प्राकृतिक संसाधन और रणनीतिक महत्व की प्रचुरता है।