किसके पास है परमाणु बम का रिमोट, फोटो ( सो. सोशल मीडिया)
नवभारत इंटरनेशनल डेस्क: 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) के आतंकवादियों द्वारा 26 पर्यटकों की हत्या के बाद भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कूटनीतिक कदम उठाए हैं। भारत के उठाए गए कड़े कदमों के बाद पाकिस्तान में चिंता का माहौल बना हुआ है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री, ख्वाजा आसिफ, ने शुक्रवार को ब्रिटिश अखबार “द स्काई” को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि “पहलगाम मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच जो विवाद शुरू हुआ है, वह दोनों देशों के बीच बड़े युद्ध का रूप ले सकता है।”
ख्वाजा आसिफ ने आगे कहा कि भारत जो भी कदम उठाएगा, पाकिस्तान उसे मजबूत तरीके से जवाब देगा। यदि हालात गलत दिशा में बढ़े, तो इसका परिणाम खतरनाक हो सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि दुनिया को यह याद रखना चाहिए कि दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं।
पहलगाम की कायराना आतंकी घटना के बाद दोनों देशों के बीच युद्ध का खतरा बढ़ गया है, जिससे यह सवाल उठता है कि पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का नियंत्रण आखिर किसके पास है। यह मामला संवेदनशील और गोपनीय है, लेकिन सामान्यत: यह कहा जा सकता है कि पाकिस्तान के परमाणु बटन का नियंत्रण राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के पास होता है। इसके अलावा, एक गुप्त संगठन, परमाणु कमान और नियंत्रण प्रणाली (एनसीसीएस), भी इस पर नजर रखती है।
हालांकि परमाणु हथियारों के उपयोग का अंतिम निर्णय राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री दोनों मिलकर लेते हैं और इस मामले में सेना की भी भूमिका अहम है, क्योंकि परमाणु हथियारों की सुरक्षा और लॉन्चिंग की जिम्मेदारी सेना के पास ही होती है।
पाकिस्तान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को 1970 के दशक में प्रारंभ किया, जिसका मुख्य उद्देश्य भारत की परमाणु शक्ति से मुकाबला करना था। भारत ने भी 1974 में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया था। इसके बाद परेशान पाकिस्तान ने अपने परमाणु हथियारों के विकास को बढ़ावा देने के लिए क्यूबा और चीन से तकनीकी सहायता प्राप्त करने की कोशिश करने लगा। 1998 में जब भारत ने अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व में एक और परमाणु परीक्षण किया, तो पाकिस्तान ने चगाई-I में अपना पहला परमाणु परीक्षण करके अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। तभी से पाकिस्तान के पास परमाणु हथियारों की बढ़ोतरी हो रही है।
पाकिस्तान का राष्ट्रीय कमांड प्राधिकरण (एनसीए) परमाणु हथियारों की सुरक्षा और नियंत्रण करने के लिए प्रमुख संगठन है। इसका काम समय-समय पर विभिन्न सुरक्षा उपायों को लागू करना है ताकि परमाणु हथियारों तक कोई अनधिकृत पहुंच न हो। एनसीए का दायित्व परमाणु बल की तैनाती, उपयोग, समन्वय, हथियारों पर नियंत्रण और परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा से जुड़ा है। यह पाकिस्तान का सर्वोच्च निकाय है, जो परमाणु हथियारों की सुरक्षा और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है।
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एनसीए में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, संयुक्त चीफ ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष, रक्षा, आंतरिक और वित्त मंत्री, सामरिक योजना प्रभाग (एसपीडी) के महानिदेशक और सेना, वायु सेना तथा नौसेना के उच्चाधिकारी शामिल होते हैं।
पाकिस्तान‘नो फर्स्ट यूज’ यानी पहले परमाणु हथियार न इस्तेमाल करने की नीति को भी नहीं अपनाया है। उसने अपने परमाणु हथियारों को मिसाइलों से अलग रखने का सिद्धांत अपनाया है। उसका कहना है कि यदि उस पर हमला होता है, तो वह अपनी सुरक्षा के लिए अपने हथियार भंडार में मौजूद किसी भी प्रकार के हथियार का उपयोग अपने दुश्मन देश पर कर सकता है। इससे यह साफ पता चलता है कि पाकिस्तान भारत द्वारा परमाणु हमला न करने के बावजूद भारत पर परमाणु हथियारों का प्रयोग कर सकता है।