JDU ने पोस्ट किया लालू यादव का AI वीडियो, फोटो- सोशल मीडिया
Lalu Yadav AI Video: जहां एक ओर देशभर में विजयादशमी का पर्व धूमधाम से मनाया गया, वहीं बिहार की राजनीति ने इस त्योहार को सियासी दंगल में बदल दिया। जदयू की ओर से जारी किए गए इस वीडियो में भ्रष्टाचार, अपराध जैसे मुद्दों को लालू के ‘दस सिर’ बताया गया है।
जेडीयू और बीजेपी ने दशहरे को हथियार बनाकर आरजेडी पर जोरदार हमला बोला। जेडीयू ने लालू यादव को रावण बताते हुए एक एआई वीडियो जारी किया, जबकि बीजेपी ने तेजस्वी यादव को रावण की संज्ञा दे डाली।
जदयू ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल से एक वीडियो जारी किया जिसमें राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव को रावण के रूप में दर्शाया गया है। वीडियो में लालू के दस सिर बनाए गए हैं, जिन पर ‘भ्रष्टाचार’, ‘जातीय हिंसा’, ‘अपराध’, ‘लूट’, ‘छिनतई’, ‘अपहरण’ जैसे शब्द लिखे हैं। उनके गले में लालटेन (राजद का चुनाव चिन्ह) झूलता दिख रहा है।
इस विजयादशमी पर बिहार की जनता बुराई का समूल नाश कर देगी। बुराई हमेशा हारती आई है; इस बार भी हार होगी।
जीत बिहार की होगी, जीत बिहार की जनता की होगी।#Vijayadashami #BiharJeetega #BiharKiJanataKiJeet pic.twitter.com/LH6sLOzmnb — Janata Dal (United) (@Jduonline) October 2, 2025
वीडियो में एक युवक को ‘जनता’ के प्रतीक के रूप में दिखाया गया है, जो तीर धनुष से लालू रावण का वध करता है। वीडियो के अंत में संदेश दिया गया है, “बुराई की हार तय है, इस बार बिहार की जनता रावण का अंत करेगी।”
दूसरी ओर बीजेपी ने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव को निशाने पर लेते हुए एक पोस्ट में उन्हें भी रावण के रूप में दिखाया। पार्टी ने दावा किया कि तेजस्वी उसी ‘लालू राज’ की छाया हैं, जिसमें बिहार लूट, भय और अपराध की गिरफ्त में था। बीजेपी प्रवक्ता कुंदन कृष्ण ने कहा, “लालू यादव के शासन में लोगों की सुरक्षा नाम की कोई चीज नहीं थी। जनता दहशत में जीती थी। अब तेजस्वी उसी पुराने डर को दोबारा लाना चाहते हैं, लेकिन बिहार की जनता अब जागरूक है।”
त्यौहार के मौके पर इस तरह की राजनीतिक बयानबाजी और ग्राफिक्स से सियासी तापमान तेज हो गया है। लालू यादव और तेजस्वी यादव पर सीधे हमले से साफ है कि जदयू और बीजेपी ने चुनावी मोर्चे की तैयारी शुरू कर दी है। राजद की ओर से अब तक इन हमलों पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन पार्टी के करीबी सूत्र इसे “शालीनता की सीमा पार करने वाला कृत्य” बता रहे हैं।
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बिहार में इस बार दशहरा सिर्फ रावण के पुतलों का नहीं, बल्कि राजनीतिक रावणों का दहन बन गया। आने वाले समय में इस तरह के एआई आधारित प्रचार और तीखे हमले बिहार की राजनीति में आम हो सकते हैं। जनता किसे ‘रावण’ मानती है और किसे ‘राम’, इसका फैसला अब 2025 के चुनावी रण में ही होगा।