
डोनाल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला के तेल को लेकर गंभीर आरोप लगाए, फोटो (सो. एआई डिजाइन)
US Venezuela Oil Dispute: दुनिया में सबसे अधिक तेल भंडार वेनेजुएला के पास है। इसके बाद सऊदी अरब, ईरान, इराक और कनाडा का नंबर आता है। हालांकि तेल भंडार के मामले में वेनेजुएला पहले स्थान पर है, लेकिन उत्पादन और निर्यात के स्तर पर वह अमेरिका और सऊदी अरब से काफी पीछे है। इसी असंतुलन के बीच अमेरिका और वेनेजुएला के रिश्तों में एक बार फिर तनाव बढ़ गया है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने वेनेजुएला के तेल को लेकर गंभीर आरोप लगाए हैं। ट्रंप का दावा है कि वेनेजुएला के तेल भंडार पर अमेरिका का अधिकार बनता है और वहां की सरकार ने अमेरिका के “ऊर्जा अधिकार” छीन लिए हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि वेनेजुएला अमेरिका का तेल अवैध रूप से अपने कब्जे में रखे हुए है और अमेरिका अपना तेल वापस चाहता है।
इसी दावे के तहत अमेरिका ने वेनेजुएला से समुद्री रास्ते से होने वाले तेल निर्यात को रोकने की कोशिशें तेज कर दीं। इस कदम का वेनेजुएला ने कड़ा विरोध किया और संयुक्त राष्ट्र में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई। वेनेजुएला का कहना है कि यह उसकी संप्रभुता और अंतरराष्ट्रीय कानून का सीधा उल्लंघन है।
वेनेजुएला के अधिकांश तेल भंडार देश के पूर्वी हिस्से में स्थित ओरिनोको बेल्ट में हैं। यह क्षेत्र करीब 55 हजार वर्ग किलोमीटर में फैला हुआ है। वर्ष 2023 तक के आंकड़ों के अनुसार, वेनेजुएला के पास लगभग 303 अरब बैरल तेल भंडार है, जो दुनिया में सबसे अधिक है।
इसके बावजूद देश को तेल से अपेक्षित आमदनी नहीं हो पा रही है। ऑब्जर्वेटरी ऑफ इकोनॉमिक कॉम्प्लेक्सिटी के मुताबिक, 2023 में वेनेजुएला ने सिर्फ 4.05 अरब डॉलर का कच्चा तेल निर्यात किया। वहीं सऊदी अरब ने 181 अरब डॉलर, अमेरिका ने 125 अरब डॉलर और रूस ने 122 अरब डॉलर का तेल निर्यात किया।
20वीं सदी की शुरुआत में अमेरिकी कंपनियों ने वेनेजुएला में तेल खोज और ड्रिलिंग शुरू की थी। 1922 में रॉयल डच शेल ने माराकाइबो झील के पास बड़े तेल भंडार खोजे। इसके बाद अमेरिकी कंपनियों ने भारी निवेश किया और वेनेजुएला लंबे समय तक अमेरिका का बड़ा तेल सप्लायर बना रहा।
हालांकि 1976 में तत्कालीन राष्ट्रपति कार्लोस आंद्रेस पेरेज ने तेल उद्योग का राष्ट्रीयकरण कर सरकारी कंपनी PDVSA की स्थापना की। इससे विदेशी कंपनियों का सीधा नियंत्रण खत्म हो गया।
1990 के दशक के अंत तक वेनेजुएला अमेरिका को रोजाना 15 से 20 लाख बैरल तेल निर्यात करता था। लेकिन 1998 में ह्यूगो चावेज के सत्ता में आने के बाद व्यापक राष्ट्रीयकरण हुआ। विदेशी संपत्तियां जब्त की गईं, निवेश घटा और कुप्रबंधन बढ़ा। इसका नतीजा यह हुआ कि तेल उत्पादन लगातार गिरता चला गया।
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अमेरिका ने 2005 से वेनेजुएला पर तेल प्रतिबंध लगाने शुरू किए, जो 2017 और 2019 में और सख्त हो गए। इसके बाद वेनेजुएला ने अमेरिका को तेल भेजना लगभग बंद कर दिया और चीन, भारत व क्यूबा जैसे देशों की ओर रुख किया। अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक किसी भी देश के प्राकृतिक संसाधनों पर उसी देश का अधिकार होता है। ऐसे में कानूनी रूप से वेनेजुएला के तेल पर अमेरिका का कोई दावा मान्य नहीं माना जाता।






