
प्रोजेक्ट-18। इमेज-सोशल मीडिया
India Navy Project 18 Next: भारतीय नौसेना सतह युद्ध क्षमता को नए लेवल पर ले जाने की तैयारी में है। इसके तहत नेक्स्ट जेनरेशन डिस्ट्रॉयर (NGD) कार्यक्रम पर काम जारी है। इसे आधिकारिक तौर पर प्रोजेक्ट-18 (P-18) कहा जाता है। यह अब तक भारत में बनने वाला सबसे बड़ा और ताकतवर युद्धपोत होगा। 2030 के शुरुआत में इसकी तैनाती होने की उम्मीद है।
इसका 11000 वजन होगा। यह नया डिस्ट्रॉयर मौजूदा विशाखापट्टनम क्लास समेत भारतीय नौसेना के सभी मौजूदा डिस्ट्रॉयर्स से बड़ा होगा। नौसेना इसे खुले समुद्र में लंबी दूरी तक ऑपरेशन करने में सक्षम, अत्याधुनिक और पूरी तरह नेटवर्क से जुड़ा युद्धपोत बनाने की योजना पर काम कर रही।
प्रोजेक्ट-18 के तहत बनने वाला यह युद्धपोत स्टेल्थ तकनीक से लैस रहेगा, जिससे दुश्मन के रडार पर इसकी पकड़ मुश्किल हो। इसे आत्मनिर्भर भारत पहल के तहत पूरी तरह स्वदेशी तौर पर डिजाइन और निर्मित किया जाएगा। इस डिस्ट्रॉयर में आधुनिक सेंसर, एडवांस रडार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित बैटल मैनेजमेंट सिस्टम होगा। इसमें भविष्य की तकनीकों को शामिल करने की योजना है।
सूत्रों के मुताबिक इस जहाज में इंटीग्रेटेड फुल इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम लगाया जाएगा। जो न सिर्फ ईंधन की बचत करेगा, बल्कि भविष्य में लेजर हथियार और रेलगन जैसी हाई–एनर्जी तकनीकों के इस्तेमाल का रास्ता खोलेगा। इसमें लंबी दूरी की एयर डिफेंस मिसाइलें होगीं। ब्रह्मोस और भविष्य की हाइपरसोनिक मिसाइलें, टॉरपीडो और क्लोज–इन वेपन सिस्टम शामिल होने की संभावना है।
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इस नए डिस्ट्रॉयर पर तैनात क्रू की संख्या पहले के मुकाबले कम होगी। इसमें अधिक ऑटोमेशन और डिजिटल सिस्टम लगाए जाएंगे। माना जा रहा कि 250 से 280 नौसैनिक इस विशाल युद्धपोत को ऑपरेट कर सकेंगे। प्रोजेक्ट–18 को भारतीय नौसेना के भविष्य के एयरक्राफ्ट कैरियर बैटल ग्रुप्स का कमांड शिप बनाने की योजना है। यह दुश्मन के हवाई हमलों से रक्षा, पनडुब्बी रोधी युद्ध और लंबी दूरी तक सटीक हमले करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि प्रोजेक्ट–18 के शामिल होने के बाद भारतीय नौसेना मजबूत होगी। यह अमेरिका, चीन और जापान की कतार में मजबूती से खड़ी हो जाएगी। यह युद्धपोत न सिर्फ भारत की समुद्री ताकत बढ़ाएगा, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में नौसेना की रणनीतिक पकड़ को और मजबूत करेगा।






