अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (फोटो- सोशल मीडिया)
US-China Relations: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ को हथियार की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन इसे लेकर उनका दौहरा रवैया बार-बार दुनिया के सामने आ रहा है। एक तरफ वो जहां रूस से तेल खरीदने पर उन्होंने भारत पर 25 फीसदी का टैरिफ लगाया हैं, वहीं चीन को 90 दिन और छूट दी है। यही नहीं ट्रंप ने चीनी छात्रों को भी रियायत देने का फैसला किया है।
ट्रंप ने हाल ही में बयान दिया है कि वो आने वाले कुछ महीनों में छह लाख चीनी छात्रों को वीजा उपलब्ध करवाएंगे। उन्होंने सोमवार को व्हाइट हाउस में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान एक पत्रकार के सवाल का जवाब देते हुए चीन को अमेरिका का एक महत्वपूर्ण सहयोगी बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच गहरे संबंध हैं। ट्रंप के इस ऐलान के चलते उनके समर्थक भी उनकी आलोचना कर रहे हैं।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने आगे बोलते हुए कहा कि वो आने वाले समय में छह लाख चीनी छात्रों का अमेरिका में स्वागत करेंगे। इसके साथ ही ट्रंप ने चीनी छात्रों के लिए अमेरिका में शिक्षा के रास्ते फिर से खोल दिए हैं। इससे पहले ट्रंप प्रशासन चीनी नागरिकों, खासकर कम्युनिस्ट विचारधारा वाले लोगों का वीजा रद्द करने का दावा कर रहे थे। लेकिन एक बार फिर ट्रंप ने अपने फैसले पर यू-टर्न ले लिया है।
ट्रंप ने कहा, “हम उनके छात्रों को यहां आने की अनुमति देने जा रहे हैं। यह बेहद अहम है। उन्होंने कहा, हम चीन के साथ सहयोग करेंगे।” इसके साथ ही उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बीजिंग को अमेरिका को रेयर अर्थ मैग्नेट की पहुंच सुनिश्चित करनी होगी, वरना उसे 200 फीसदी टैरिफ का सामना करना पड़ेगा।
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ट्रंप के इस फैसले ने अमेरिका में उनके अपने समर्थकों के बीच असंतोष पैदा कर दिया है। कई कट्टरपंथी समर्थक इसे उनके “अमेरिका फर्स्ट” एजेंडे से एक तरह का धोखा मान रहे हैं। उनका कहना है कि ट्रंप का यह अचानक बदला हुआ रुख उनकी समझ से बाहर है। एक समर्थक ने चीनी छात्रों को “सीसीपी के जासूस” बताया और कहा कि इस कदम से राष्ट्रपति ट्रंप की इमिग्रेशन नीति कमजोर हो गई है।