
Yellow Sea में युद्ध की तैयारी, (डिजाइन फोटो)
China Yellow Sea Drill: चीन की समुद्री सुरक्षा प्रशासन (Maritime Safety Administration) ने सोमवार (24 नवंबर) को महत्वपूर्ण सैन्य गतिविधि का ऐलान करते हुए बताया कि येलो सी के उत्तरी हिस्से में मंगलवार से शुक्रवार तक लाइव-फायर ड्रिल आयोजित की जाएगी। यह अभ्यास 26 नवंबर सुबह 8 बजे शुरू होकर 29 नवंबर दोपहर 12 बजे तक चलेगा।
लिआओनिंग प्रांत की दालियान मैरीटाइम अथॉरिटी ने नोटिस जारी कर स्पष्ट किया है कि अभ्यास के दौरान निर्धारित समुद्री क्षेत्र में किसी भी प्रकार के जहाज की आवाजाही पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगी। यह पाबंदी सुरक्षा कारणों से लगाई गई है ताकि सैन्य गतिविधि के दौरान किसी तरह की दुर्घटना, टक्कर या नुकसान न हो।
चीन नियमित रूप से समुद्री सैन्य अभ्यास करता रहा है, जिनका उद्देश्य नौसैनिक क्षमता को मजबूत करना तथा समुद्री क्षेत्रों में गतिविधियों की निगरानी बढ़ाना होता है। विशेषज्ञों का मानना है कि लगातार बढ़ती सैन्य गतिविधियां चीन की तेज़ी से विस्तार करती रक्षा रणनीति का हिस्सा हैं, जिसके तहत वह समुद्री इलाकों पर अपनी पकड़ मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
येलो सी में होने वाला यह अभ्यास खास तौर पर दक्षिण कोरिया और जापान के लिए चिंता बढ़ाने वाला है। यह समुद्री क्षेत्र दक्षिण कोरिया की सीमा के बेहद करीब स्थित है, जिसके चलते दक्षिण कोरिया इसे चीनी दबाव रणनीति का हिस्सा मान रहा है। वहीं जापान इसे अपने समुद्री मार्गों और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए जोखिम मानता है। पहले से ही इन दोनों देशों के साथ चीन के रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं। ऐसे में यह अभ्यास क्षेत्रीय राजनयिक तनाव को और गहरा कर सकता है।
हालांकि चीन इस अभ्यास को एक नियमित प्रशिक्षण और तैयारी का हिस्सा बता रहा है, लेकिन सुरक्षा विश्लेषकों का मानना है कि ऐसे लाइव-फायर ड्रिल अक्सर शक्ति प्रदर्शन के संकेत होते हैं। खासकर तब जब दक्षिण चीन सागर और पूर्वी चीन सागर जैसे क्षेत्रों में पहले से ही विवाद और सैन्य तनाव मौजूद है। चीन की यह नई गतिविधि इन संवेदनशील क्षेत्रों में अस्थिरता और बेचैनी को बढ़ा सकती है।
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क्षेत्रीय विशेषज्ञों का मानना है कि इस ड्रिल का राजनीतिक संदेश भी स्पष्ट है चीन अपने पड़ोसी देशों को यह संकेत देना चाहता है कि वह अपने समुद्री हितों और दावों पर किसी भी प्रकार का समझौता करने को तैयार नहीं है। यही कारण है कि आने वाले दिनों में कोरिया और जापान की ओर से कड़ी प्रतिक्रियाएं भी देखने को मिल सकती हैं।






