
अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट आज जन्म आधारित नागरिकता खत्म करने वाले डोनाल्ड ट्रंप के आदेश की वैधता पर फैसला सुनाएगा (सोर्स- सोशल मीडिया)
US Supreme Court decision: अमेरिका में जन्म के आधार पर मिलने वाली नागरिकता अब कानूनी चुनौती के केंद्र में है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा जारी आदेश को लेकर विवाद तेज है। अमेरिकी सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर सुनवाई के लिए सहमति दे दी है। अब यह फैसला तय करेगा कि बच्चों को जन्म से स्वचालित नागरिकता मिलेगी या नहीं।
अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चों को मिलने वाली स्वचालित नागरिकता अब बड़ा कानूनी मुद्दा बन गई है। सर्वोच्च न्यायालय यह तय करने जा रहा है कि पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का एग्जीक्यूटिव ऑर्डर संवैधानिक है या नहीं। इस आदेश में कहा गया था कि यदि बच्चे के माता-पिता अमेरिकी नागरिक या स्थायी निवासी नहीं हैं, तो जन्म से मिलने वाली नागरिकता समाप्त कर दी जाए।
सिन्हुआ न्यूज एजेंसी के अनुसार, ट्रंप ने 20 जनवरी को पद संभालने के तुरंत बाद यह आदेश जारी किया। उनका कहना था कि जिस बच्चे के माता-पिता अस्थायी आगंतुक हों या अवैध रूप से अमेरिका में रह रहे हों, वे संविधान के अनुसार अमेरिकी “अधिकार क्षेत्र” में नहीं आते, इसलिए उनके बच्चों को नागरिकता देने का कोई आधार नहीं है। यह व्यवस्था अमेरिका में 100 से अधिक वर्षों से लागू है, जिसे अब चुनौती दी जा रही है।
आदेश जारी होते ही 20 से अधिक राज्यों और कई सिविल राइट्स संगठनों ने इस नीति को कोर्ट में चुनौती दी और इसे “गैर-संवैधानिक” बताया। कई फेडरल जजों ने इस आदेश पर अस्थायी रोक लगा दी थी। 27 जून को सुप्रीम कोर्ट ने 6-3 के फैसले में कहा कि फेडरल डिस्ट्रिक्ट कोर्ट को पूरे देश में रोक लगाने का अधिकार नहीं है। अब सुप्रीम कोर्ट सीधे इस विवाद का अंतिम समाधान करने की तैयारी में है।
रिपब्लिकन पार्टी के नेतृत्व वाले 24 राज्यों और 27 सांसदों ने सुप्रीम कोर्ट से इस नीति को सही ठहराने की मांग की है। सरकार का तर्क है कि गैर-अमेरिकी नागरिकों के बच्चों को स्वचालित रूप से अमेरिकी पहचान नहीं मिलनी चाहिए। यह मामला ट्रंप की विवादित आव्रजन नीतियों का हिस्सा है, जिन पर पहले भी अदालत में कई सुनवाई हो चुकी हैं।
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विशेषज्ञों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला अमेरिका की इमिग्रेसन व्यवस्था और भविष्य की नागरिकता नीतियों को बड़े पैमाने पर प्रभावित करेगा। अगर आदेश लागू हुआ, तो हजारों परिवारों को कानूनी संकट का सामना करना पड़ सकता है।






