
पूर्व अमेरिकी अधिकारी लिसा कर्टिस (सोर्स- सोशल मीडिया)
India US Russia relations: नई दिल्ली में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा तेज है। अमेरिकी सुरक्षा विशेषज्ञ लिसा कर्टिस ने कहा कि यह भारत के संतुलित कूटनीतिक रुख का संकेत है। उनके अनुसार, यह यात्रा अमेरिका और भारत के बीच व्यापार नीतियों को लेकर चल रहे तनाव के बीच हुई है। भारत ने रूस के साथ दीर्घकालिक रक्षा और आर्थिक साझेदारी को जारी रखते हुए अमेरिका के साथ भी मजबूत संबंध बनाए रखे हैं।
व्हाइट हाउस की पूर्व दक्षिण एशिया अधिकारी और सीएनएएस की वरिष्ठ फेलो लिसा कर्टिस ने कहा कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को नई दिल्ली में स्वागत का निर्णय भारत की संतुलित कूटनीति को दर्शाता है। यह कदम अमेरिका और रूस दोनों के साथ भारत के संबंधों को मजबूत और सुरक्षित रखने की रणनीति का हिस्सा है।
लिसा कर्टिस ने कहा कि भारत और रूस 2030 तक आपसी व्यापार को 100 अरब अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने पर सहमत हुए हैं। वहीं, अमेरिका और भारत इसी अवधि में व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाने का लक्ष्य तय कर चुके हैं, जो रूस के मुकाबले काफी अधिक है। कर्टिस ने बताया कि भारत ने रक्षा क्षेत्र में भी कई समझौते किए हैं, जिनमें एस-400 सिस्टम आयात और हेलीकॉप्टर रखरखाव पैकेज शामिल हैं। भारत ने अमेरिकी हेलीकॉप्टरों के रखरखाव के लिए 1 अरब डॉलर के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं, जिससे दोनों देशों की सुरक्षा साझेदारी और मजबूत हुई है।
कर्टिस के अनुसार, इस मुलाकात को अमेरिका-भारत संबंधों में हाल में आए तनाव के संदर्भ में समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि मई में भारत-पाक संघर्ष के बाद अमेरिका द्वारा 50% व्यापार शुल्क लगाए जाने से संबंधों में गिरावट आई। इसी कारण भारत ने अपनी रणनीति के तहत रूस के साथ रिश्तों को खुला रखा है।
लिसा कर्टिस ने आगाह किया कि रूस के साथ उन्नत तकनीक पर सहयोग भारत के लिए जोखिम ला सकता है। उनका कहना है कि रूस चीन का करीबी सहयोगी है, इसलिए भारतीय तकनीक के लीक होने का खतरा बढ़ जाता है। अगर भारत रूस के साथ अधिक तकनीकी साझेदारी करता है, तो यह साइबर सुरक्षा और आईटी नेटवर्क के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
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कर्टिस ने कहा कि भारत का भविष्य खासकर एआई और उभरती टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अमेरिका के साथ अधिक उज्ज्वल है।भारत को यह तय करना होगा कि दीर्घकालिक लाभ किस साझेदारी में अधिक मिलेंगे। वाशिंगटन की संभावित प्रतिक्रिया पर कर्टिस ने कहा कि राष्ट्रपति ट्रंप की प्रतिक्रिया इस बार पूर्व जैसी तीखी नहीं हो सकती और स्थिति का इंतजार करना चाहिए।






