
टर्की की धरती निगल रही है खेत. फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Turkey Konya Plain: तुर्किये का कोन्या मैदान, जहां देश का सबसे अधिक गेहूं उत्पादन होता है, आज एक बड़ी पर्यावरणीय और कृषि आपदा का सामना कर रहा है। लगभग 2.6 मिलियन हेक्टेयर में फैला यह क्षेत्र तुर्किये के कुल कृषि क्षेत्र का करीब 11.2 प्रतिशत हिस्सा है।
लेकिन पिछले दो दशकों में क्षमता से अधिक खेती, पानी-गहन फसलों की बढ़ती सिंचाई और भूजल के अंधाधुंध दोहन ने इस उपजाऊ क्षेत्र को खतरे के मुहाने पर ला खड़ा किया है। इस संकट का सबसे खतरनाक रूप है सिंकहोल।
ये अचानक बनने वाले गहरे गड्ढे खेतों, सड़कों और बस्तियों को निगल रहे हैं। तुर्किये की आपदा प्रबंधन एजेंसी AFAD की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, कोन्या बेसिन में अब तक 684 सिंकहोल की आधिकारिक पहचान हो चुकी है। वहीं, कोन्या तकनीकी विश्वविद्यालय के सिंकहोल रिसर्च सेंटर के आंकड़े इससे भी ज्यादा चिंताजनक हैं।
उनके मुताबिक 2017 में जहां 299 सिंकहोल थे, वहीं 2021 तक इनकी संख्या बढ़कर 2,550 हो गई। सिर्फ साल 2025 में ही करीब 20 नए बड़े सिंकहोल बनने की पुष्टि हुई है, जिनकी गहराई 30 मीटर से अधिक और चौड़ाई 100 फीट तक बताई जा रही है।
खेत में पड़े गड्ढे
विशेषज्ञ मानते हैं कि यह संकट अचानक नहीं आया है। पिछले करीब 20 वर्षों से लगातार चेतावनियों के बावजूद प्रशासनिक अनदेखी और अनियंत्रित जल उपयोग ने हालात को और बिगाड़ दिया। 2025 में सूखे की तीव्रता और भूजल दोहन बढ़ने से समस्या और गंभीर हो गई है। AFAD के अनुसार, अकेले करापिनार जिले में ही 534 सिंकहोल मौजूद हैं जो ज्यादातर ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में हैं।
भूवैज्ञानिक दृष्टि से कोन्या मैदान ‘कार्स्ट’ संरचना वाला इलाका है जहां कार्बोनेट और जिप्सम जैसी घुलनशील चट्टानें पाई जाती हैं। सामान्य हालात में ये चट्टानें धीरे-धीरे घुलती हैं, लेकिन जब भूजल स्तर तेजी से गिरता है तो जमीन का सहारा कमजोर हो जाता है और अचानक धंसाव होने लगता है। इसके साथ ही जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले 15 वर्षों में बारिश में भारी कमी आई है, जिससे प्राकृतिक जल भंडार रिचार्ज नहीं हो पा रहे।
कृषि जरूरतों के लिए चुकंदर, मक्का और अन्य पानी-गहन फसलों की सिंचाई में हजारों वैध और अवैध कुओं का इस्तेमाल हो रहा है। 1970 के दशक से कुछ इलाकों में भूजल स्तर 60 मीटर तक गिर चुका है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर इसी तरह पानी का दोहन जारी रहा तो आने वाले वर्षों में सिंकहोल की संख्या और तेजी से बढ़ेगी।
इस संकट का असर सिर्फ जमीन तक सीमित नहीं है। हजारों हेक्टेयर उपजाऊ खेत बर्बाद हो रहे हैं, जिससे किसान अपनी जमीन छोड़ने को मजबूर हैं। इससे तुर्किये की खाद्य सुरक्षा, कृषि अर्थव्यवस्था और ग्रामीण समाज पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है। पलायन बढ़ने का खतरा भी जताया जा रहा है, जो शहरी क्षेत्रों पर अतिरिक्त दबाव डालेगा।
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हालांकि सरकार ने अवैध कुओं पर कार्रवाई शुरू की है और जोखिम वाले इलाकों की मैपिंग की जा रही है। AFAD के अनुसार 1,850 क्षेत्रों में जमीन धंसने के संकेत मिले हैं। लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक सख्त जल प्रबंधन और टिकाऊ कृषि नीतियां लागू नहीं होंगी, तब तक कोन्या मैदान का भविष्य सुरक्षित नहीं हो पाएगा।






