
रिपब्लिक डे पर यूरोप की दस्तक, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
January 26 Chief Guest: भारत का गणतंत्र दिवस 2026 कई मायनों में ऐतिहासिक बनने जा रहा है। इस बार मुख्य अतिथि के तौर पर यूरोपीय संघ के शीर्ष नेतृत्व को आमंत्रित किया गया है। यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन और यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष एंटोनियो कोस्टा 26 जनवरी के समारोह में शामिल होंगे। एक साथ दो शीर्ष यूरोपीय नेताओं की मौजूदगी को भारत-यूरोपीय संघ संबंधों में एक नए और निर्णायक चरण के रूप में देखा जा रहा है।
राजनयिक सूत्रों के मुताबिक, इन नेताओं की भारत यात्रा केवल प्रतीकात्मक नहीं होगी, बल्कि इसके साथ ही भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलन और व्यापार वार्ताओं के आयोजन की भी संभावना जताई जा रही है। माना जा रहा है कि इस दौरान लंबे समय से लंबित भारत-यूरोपीय संघ फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) पर गंभीर चर्चा होगी और कुछ ठोस प्रगति के संकेत भी मिल सकते हैं।
भारत और यूरोपीय संघ के बीच एफटीए को लेकर कई वर्षों से बातचीत चल रही है। इस समझौते का दायरा केवल व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें निवेश, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, सप्लाई चेन, डिजिटल इकॉनमी, ग्रीन एनर्जी और मैन्युफैक्चरिंग जैसे अहम क्षेत्र भी शामिल हैं। वैश्विक स्तर पर बदलते भू-राजनीतिक हालात और सप्लाई चेन में विविधता की जरूरत को देखते हुए यह समझौता दोनों पक्षों के लिए रणनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि गणतंत्र दिवस के मौके पर यूरोपीय संघ के शीर्ष नेतृत्व की मौजूदगी यह स्पष्ट संदेश देती है कि यूरोप भारत को एक भरोसेमंद आर्थिक और रणनीतिक साझेदार के रूप में देख रहा है। यूरोपीय संघ भारत के साथ अपने रिश्तों को केवल कूटनीतिक स्तर तक सीमित नहीं रखना चाहता, बल्कि उसे दीर्घकालिक आर्थिक साझेदारी में बदलने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
गणतंत्र दिवस समारोह और भारत-ईयू व्यापार वार्ताओं का एक ही समय के आसपास होना इस घटनाक्रम को और भी अहम बना देता है। राजनयिक हलकों में इसे भारत की संतुलित और बहुपक्षीय विदेश नीति का हिस्सा माना जा रहा है, जहां भारत एशिया, यूरोप और अन्य वैश्विक शक्तियों के साथ समानांतर रूप से रिश्तों को मजबूत कर रहा है।
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गौरतलब है कि वर्ष 2025 में गणतंत्र दिवस पर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबियांतो मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए थे। राष्ट्रपति बनने के बाद यह उनकी पहली भारत यात्रा थी। 1950 के बाद यह चौथा मौका था जब इंडोनेशिया के राष्ट्रपति भारत के गणतंत्र दिवस समारोह में चीफ गेस्ट बने। अब 2026 में यूरोपीय संघ का शीर्ष नेतृत्व इस परंपरा को आगे बढ़ाते हुए भारत की वैश्विक भूमिका को और मजबूती देने जा रहा है।






