काबुल/इस्लामाबाद. भारत के बाद अब अफगानिस्तान से भी पाकिस्तान के रिश्ते खराब होते जा रहे हैं। तोरखम बॉर्डर पर 6 दिसंबर को हुई गोलीबारी के बाद से ही दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति है। जिसके चलते बॉर्डर को बंद कर दिया गया है। दोनों देशों के बीच व्यापार बंद होने से दोनों देशों में विरोध प्रदर्शन जारी हैं। प्रदर्शनकारियों ने पाकिस्तानी और अफगान अधिकारियों से बातचीत के जरिए अपनी समस्याएं सुलझाने को कहा है।
बता दें कि तोरखम दोनों देशों के व्यापार के प्रमुख रास्तों में से एक है। यह बॉर्डर पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत और अफगानिस्तान के नंगरहार प्रांत को जोड़ता है। यहां से हर दिन फल सब्जियां और अन्य वस्तुओं से लदे सैकड़ों ट्रक पाकिस्तान में प्रवेश करते हैं। इसी तरह दवाओं, रासायनिक खाद, चीनी और अन्य जरूरी सामान से लदे ट्रक उसी रस्ते से अफगानिस्तान की ओर जाते हैं। यह बॉर्डर पिछले एक हफ्ते से बंद है, जिससे दोनों देशों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अफगानिस्तान-पाकिस्तान ज्वाइंट चैंबर ऑफ कॉमर्स खंजन अलोकोजाई के हवाले से कहा कि तोरखम बॉर्डर बंद होने के कारण नुकसान 1 मिलियन अमेरिकी डॉलर के दायरे में था।
6 सितंबर को गोलीबारी के लिए दोनों देश एक-दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पाकिस्तान ने तालिबान पर गैरकानूनी संरचनाओं के निर्माण और बिना किसी कारण अंधाधुंध गोलीबारी का आरोप लगाया है। जिसके चलते तोरखम टर्मिनल के बुनियादी ढांचे को नुकसान पहुंचा। इस गोलीबारी में दोनों देशों के नागरिकों की जान खतरे में पड़ गई। पाकिस्तान इसे क्षेत्रीय संप्रभुता का उल्लंघन बता रहा है।
वहीं, तालिबान ने पाकिस्तान दावे से इनकार किया और कहा कि पहले अफगानिस्तान पर हमला किया गया था। उसका कहना है कि वह तोरखम बॉर्डर पर पहले से मौजूद पोस्ट की मरम्मत करवा रहा था तभी पाकिस्तान के सैनिकों ने अफगान सैनिकों पर गोलीबारी की।
बता दें कि 6 सितंबर को हुई गोलीबारी में मरने वालों की संख्या स्पष्ट नहीं है। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि गोलीबारी में कम से कम आठ लोगों की मौत हो सकती है।
दोनों पक्ष बातचीत के माध्यम से बंद तोरखम बॉर्डर को फिर से खोलने की संभावनाओं पर चर्चा कर रहे हैं। इस संबंध में कई दौर की बैठकें हुई लेकिन कोई नतीजा सामने नहीं निकल पाया है।
पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते लगातार बिगड़ते ही जा रहे हैं। अफगान तालिबान को काफी लंबे समय से पाकिस्तान का सहयोगी माना जाता है। लेकिन हाल में हुई झड़पों ने दोनों देशों के रिश्तों में दरार पैदा कर दी है। पाकिस्तान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) को अपना नंबर एक का दुश्मन मानता है। टीटीपी उन सैकड़ों हमलों के लिए जिम्मेदार है जिनमें हजारों पाकिस्तानी नागरिक और सैनिक मारे गए हैं। टीटीपी अफगानिस्तान की धरती से पाकिस्तान के अंदरूनी इलाकों में लगातार हमलों को अंजाम दे रहा है। जिसके चलते पाकिस्तान टीटीपी से काफी परेशान है।
उधर, पाकिस्तान के रिश्ते भारत से पहले ही खराब है और अब उसके रिश्ते अफगानिस्तान से भी काफी खराब हो गए हैं। दोनों देशों के बिगड़ते रिश्ते और बढ़ता अविश्वास ही बड़ा सवाल है। यह आगे भी दोनों देशों को परेशान करता रहेगा। क्यों कि तालिबान अभी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता पाने की कोशिश कर रहा है।
वहीं, पाकिस्तान इस समय आर्थिक बदहाली से जूझ रहा है। अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने के आसार नहीं दिख रहे। यहां महंगाई लगातार बढ़ती ही जा रही है। यहां फल, सब्जियां समेत अन्य जरुरी चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं। इसमें से कई चीजें अफगानिस्तान पाकिस्तान को सप्लाई करता है। लेकिन दोनों के बिगड़ते रिश्तों का खमियाजा यहां की पाकिस्तान की जनता को भुगतना पड़ सकता है। ऐसे में अब पाकिस्तान का क्या होगा? ऐसा सवाल खड़ा हो रहा है।