पाकिस्तान में अहमदिया समुदाय पर हमला, फोटो (सो. आईएएनएस )
Pakistan Minority Attacks: पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर बढ़ते हमलों की आलोचना करते हुए ‘वॉयस ऑफ पाकिस्तान माइनॉरिटी’ (वीओपीएम) ने सोमवार को कहा कि स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर कट्टरपंथियों ने नफरत का प्रदर्शन किया। पंजाब के फैसलाबाद जिले के दिजकोट क्षेत्र में तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (टीएलपी) के नेताओं के नेतृत्व में एक भीड़ ने दो अहमदिया उपासना स्थलों में आग लगा दी।
वीओपीएम ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस के दिन सैकड़ों लोग ईंट-पत्थर और डंडों से लैस होकर अहमदिया समुदाय पर टूट पड़े। पुलिस के अनुसार, लगभग 300 लोगों की भीड़ जुलूस का बहाना बनाकर इन उपासना स्थलों को निशाना बना रही थी। दशकों पुराने इन स्थलों की मीनारें गिरा दी गईं, नफरतपूर्ण भाषण दिए गए और इमारतों में आग लगा दी गई। इसके साथ ही हमलावरों ने आसपास के अहमदिया घरों पर भी पत्थरबाजी की।
इस घटना ने महिलाओं और बच्चों सहित कई परिवार दहशत में आ गए, जबकि कुछ लोग घायल भी हुए। वीओपीएम ने आरोप लगाया कि हमले का नेतृत्व टीएलपी के टिकटधारी हाफिज रफाकत ने किया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान की राजनीति में सक्रिय कट्टरपंथी संगठन खुले तौर पर हिंसा को बढ़ावा देते हैं और उन्हें राजनीतिक और न्यायिक संरक्षण प्राप्त है।
अधिकार समूह ने कहा कि यह कोई अचानक भड़काया गया दंगा नहीं था, बल्कि पूर्व नियोजित आतंकवादी कार्रवाई थी। हालांकि इस पर आतंकवाद विरोधी कानून और पाकिस्तान दंड संहिता की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, लेकिन इतिहास बताता है कि ऐसे मामलों में शायद ही कभी न्याय वास्तविक रूप में मिलता है।
वीओपीएम ने यह भी बताया कि घटना से एक दिन पहले ही पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (एचआरसीपी) ने गैर-मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती नफरत फैलाने वाली भाषणबाजी को लेकर चेतावनी दी थी, जिसे प्रशासन ने नजरअंदाज कर दिया। पुलिस ने 25 लोगों को गिरफ्तार किया, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया कि इनमें मुख्य आरोपी शामिल हैं या नहीं।
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संस्था ने कहा कि फैसलाबाद पुलिस प्रमुख की मौनता यह दर्शाती है कि प्रशासन चरमपंथ का सीधे मुकाबला करने से कतराता है। अहमदिया समुदाय और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ इस तरह की घटनाएं नई नहीं हैं, बल्कि यह दशकों से चल रहे संगठित अभियान का हिस्सा हैं।
(एजेंसी इनपुट के साथ)