
TTP विवाद पर आमने-सामने इस्लामाबाद-काबुल, फोटो (सो. एआई डिजाइन)
Pakistan News In Hindi: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच कूटनीतिक तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। पाकिस्तान ने शुक्रवार को एक वरिष्ठ अफगान राजनयिक को विदेश मंत्रालय तलब कर अफगान तालिबान शासन पर तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) को कथित समर्थन देने का आरोप लगाया। इस दौरान इस्लामाबाद ने अफगान धरती से पाकिस्तान के खिलाफ हो रहे आतंकी हमलों पर गंभीर चिंता जताई।
पाक विदेश मंत्रालय के अनुसार, अफगान उप मिशन प्रमुख को आधिकारिक रूप से तलब कर पाकिस्तान की कड़ी आपत्ति दर्ज कराई गई। मंत्रालय ने साफ कहा कि अफगान तालिबान शासन द्वारा टीटीपी को दी जा रही निरंतर सहायता और सुविधाएं पाकिस्तान की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन चुकी हैं। पाकिस्तान का आरोप है कि इसी समर्थन के चलते टीटीपी सीमा पार से पाकिस्तानी सेना और नागरिकों को निशाना बनाने में सक्षम हो रहा है।
इस्लामाबाद ने यह भी रेखांकित किया कि अफगानिस्तान में टीटीपी को मिल रहा अनुकूल माहौल काबुल की अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं और पाकिस्तान से किए गए वादों के पूरी तरह खिलाफ है। इन वादों में यह स्पष्ट रूप से कहा गया था कि अफगान धरती का इस्तेमाल किसी अन्य देश के खिलाफ आतंकी गतिविधियों के लिए नहीं होने दिया जाएगा। पाकिस्तान का कहना है कि इन आश्वासनों के बावजूद जमीनी हालात में कोई ठोस बदलाव नजर नहीं आ रहा।
पाकिस्तान ने अफगान तालिबान शासन से मांग की है कि अफगान भूमि से संचालित सभी आतंकी समूहों के खिलाफ तत्काल, ठोस और सत्यापनीय कदम उठाए जाएं। इसके साथ ही उत्तर वजीरिस्तान समेत अन्य सीमावर्ती इलाकों में हुए आतंकी हमलों के दोषियों और उनके सहयोगियों के खिलाफ पूर्ण जांच और निर्णायक कार्रवाई की भी मांग की गई है।
इस्लामाबाद ने काबुल को यह भी स्पष्ट संदेश दिया कि पाकिस्तान अपनी संप्रभुता की रक्षा और नागरिकों की सुरक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने का अधिकार रखता है। पाक विदेश मंत्रालय ने दो टूक कहा कि अफगान धरती से उत्पन्न होने वाले आतंकवाद का जवाब देने के लिए पाकिस्तान हर जरूरी उपाय करेगा।
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गौरतलब है कि यह कूटनीतिक कदम उत्तर वजीरिस्तान में हाल ही में हुए एक घातक आतंकी हमले के बाद उठाया गया है। इस हमले में टीटीपी के गुल बहादुर गुट से जुड़े उग्रवादियों ने पाकिस्तानी सेना के एक कैंप को निशाना बनाया जिसमें चार सैनिकों की मौत हो गई। इस घटना के बाद पाकिस्तान में सुरक्षा एजेंसियों और राजनीतिक हलकों में अफगानिस्तान को लेकर चिंता और नाराजगी और गहरा गई है।






