
ईरान और पाकिस्तान से एक ही दिन में 5,500 से अधिक अफगान शरणार्थियों को जबरन वापस भेजा (सोर्स- सोशल मीडिया)
Forced Afghan Return Crisis: पड़ोसी देशों ईरान और पाकिस्तान से अफगान शरणार्थियों के जबरन निर्वासन का सिलसिला अब एक मानवीय संकट का रूप ले चुका है। तालिबान सरकार के अनुसार, महज एक दिन के भीतर 5,500 से अधिक अफगान नागरिकों को सीमाओं के पार वापस धकेल दिया गया है।
वापस लौटने वाले इन परिवारों में महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं, जो कड़ाके की ठंड के बीच बिना किसी तैयारी के अपने वतन पहुंचे हैं। तालिबान प्रशासन अब इन हजारों शरणार्थियों के रहने, खाने और रोजगार की व्यवस्था करने के लिए अंतरराष्ट्रीय मदद और घरेलू संसाधनों की ओर देख रहा है।
तालिबान के उप प्रवक्ता मुल्ला हमदुल्लाह फ़ित्रत ने आधिकारिक आंकड़ों को साझा करते हुए बताया कि बुधवार को कुल 863 परिवारों के 5,591 लोग अफगानिस्तान लौटे हैं। ये शरणार्थी हेरात के इस्लाम किला, हेलमंद के बह्रमचा, निमरोज़ के पुल-ए-अब्रेशम, नंगरहार के तोरखम और कंधार के स्पिन बोल्डक जैसे प्रमुख सीमा मार्गों से दाखिल हुए।
रिपोर्ट के अनुसार, अकेले मंगलवार को भी करीब 3,000 लोगों को निकाला गया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि ईरान और पाकिस्तान दोनों ही देश अफगान प्रवासियों को वापस भेजने के अभियान में तेजी ला रहे हैं।
वापस लौटे शरणार्थियों ने पाकिस्तानी पुलिस और अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। काबुल के एक शिविर में रह रहे जमालुद्दीन जैसे कई प्रवासियों का कहना है कि उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के उनके घरों से निकाल दिया गया।
कई परिवारों को उनकी वर्षों की जमा-पूंजी और कीमती सामान साथ लाने का मौका भी नहीं दिया गया। शरणार्थियों का दावा है कि पाकिस्तान में उनकी संपत्तियों को या तो नष्ट कर दिया गया या उन्हें वहीं छोड़ने पर मजबूर किया गया। अब उनके पास न तो पैसे बचे हैं और न ही रहने के लिए कोई निश्चित स्थान, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं।
अफगानिस्तान में इस समय सर्दी का मौसम अपने चरम पर है, जिससे शरणार्थियों के लिए हालात और भी चुनौतीपूर्ण हो गए हैं। तोलो न्यूज से बात करते हुए कई निर्वासित नागरिकों ने बताया कि वे अपने पैतृक गांवों की ओर जा रहे हैं, लेकिन वहां भी उनके पास रहने की कोई व्यवस्था नहीं है।
तालिबान प्रशासन ने कुछ परिवारों को मानवीय सहायता और दूरसंचार सेवाओं के लिए सिम कार्ड उपलब्ध कराए हैं, लेकिन शरणार्थियों की बढ़ती संख्या के मुकाबले यह मदद बेहद कम है। प्रवासियों ने इस्लामिक अमीरात से तत्काल भूमि, नकद सहायता और रोजगार के अवसरों की मांग की है।
यह भी पढ़ें: भड़की हिंसा तो फूले यूनुस के हाथ-पांव! तुरंत बुलाई हाई लेवल मीटिंग, अब क्या करेगी बांग्लादेश सरकार?
तालिबान के उच्च आयोग ने प्रवासियों की समस्याओं के समाधान के लिए एक टास्क फोर्स तैनात की है। अब तक हजारों लोगों को उनके संबंधित प्रांतों में भेजा जा चुका है, लेकिन दीर्घकालिक पुनर्वास एक बड़ी चुनौती बना हुआ है।
ईरान से लौटे जन मोहम्मद ने कहा कि सरकार को इन लोगों के लिए स्थायी आश्रय बनाना चाहिए ताकि वे ठंड से बच सकें। अफगानिस्तान में पहले से ही आर्थिक संकट गहराया हुआ है, ऐसे में हजारों लोगों की अचानक वापसी ने देश की सामाजिक और आर्थिक स्थिति पर और अधिक दबाव डाल दिया है।






