
पाकिस्तान सेना प्रमुख आसिम मुनीर, पीएम शहबाज शरीफ और अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप (सोर्स- सोशल मीडिया)
Pakistan Military US Pressure: आर्थिक तंगी और राजनीतिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान अब एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय जाल में फंसता नजर आ रहा है, जो उसकी आंतरिक सुरक्षा को तहस-नहस कर सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘गाजा प्लान’ को समर्थन देने की खबरों के बीच पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर अपने करियर के सबसे कठिन मोड़ पर खड़े हैं।
व्हाइट हाउस के साथ करीबी रिश्ते बनाने की उनकी कोशिश अब पाकिस्तान के लिए गले की हड्डी बनती जा रही है। अगर मुनीर गाजा में सेना भेजने का फैसला लेते हैं, तो यह न केवल विदेश नीति बल्कि देश की जनभावनाओं के लिए भी एक बड़ा जोखिम साबित होगा।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख आसिम मुनीर और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बीच बढ़ती नजदीकियां किसी से छिपी नहीं हैं। ट्रंप का 20-सूत्रीय गाजा प्लान स्पष्ट रूप से मुस्लिम देशों की सेनाओं से वहां शांति स्थापना और पुनर्निर्माण का काम करवाने पर जोर देता है।
अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान जैसे देशों का सैन्य बल गाजा में हमास को निहत्था करने और इजरायल के हितों की सुरक्षा के बीच एक बफर जोन की तरह काम करे। मुनीर के लिए अमेरिका को मना करना इसलिए मुश्किल है क्योंकि वे अपनी सत्ता को बचाए रखने के लिए वाशिंगटन से सुरक्षा सहायता और भारी निवेश की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
मुनीर के इस संभावित ‘गाजा मिशन’ ने पाकिस्तान के भीतर सत्ता के गलियारों में तनाव पैदा कर दिया है। पाकिस्तानी विदेश मंत्री इशाक डार का हालिया बयान इसी कलह की ओर इशारा करता है। डार ने स्पष्ट रूप से कहा है कि पाकिस्तान शांति सेना का हिस्सा तो बन सकता है, लेकिन हमास जैसे समूहों को असशस्त्र करना पाकिस्तान की सेना का काम नहीं है।
यह बयान दर्शाता है कि सरकार और सैन्य नेतृत्व के बीच इस संवेदनशील मुद्दे पर आम सहमति नहीं है। विशेषज्ञों का मानना है कि विदेश मंत्रालय को डर है कि इस मिशन से पाकिस्तान की छवि एक ‘किराए की सेना’ (Mercenary Army) के रूप में बन सकती है।
पाकिस्तान की जनता और वहां के कट्टरपंथी इस्लामिक दल ऐतिहासिक रूप से अमेरिका और इजरायल के विरोधी रहे हैं। अगर मुनीर गाजा में सैनिक भेजते हैं, तो इमरान खान की पार्टी और टीएलपी जैसे संगठन इसे “इस्लाम के खिलाफ गद्दारी” के रूप में पेश करेंगे।
हाल ही में एक शक्तिशाली इस्लामी पार्टी पर प्रतिबंध लगाने के बावजूद उनकी विचारधारा अभी भी समाज में गहराई तक समाई हुई है। सड़कों पर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन शुरू हो सकते हैं, जिससे देश की कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा सकती है।
केवल पाकिस्तान ही नहीं, बल्कि सऊदी अरब, तुर्की, कतर और जॉर्डन जैसे देश भी इस मिशन में सीधे शामिल होने से कतरा रहे हैं। इन देशों को डर है कि हमास को निहत्था करने का प्रयास उन्हें सीधे युद्ध की आग में धकेल देगा।
हालांकि, आसिम मुनीर ने हाल ही में इन सभी देशों की यात्रा की है, जिसे गाजा मिशन पर आम राय बनाने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। मुनीर की चुनौती यह है कि वे इन देशों को साथ लिए बिना अकेले आगे बढ़े तो देश के भीतर उन्हें ‘गद्दार’ कहा जाएगा और अगर पीछे हटे तो अमेरिका का कोपभाजन बनना पड़ेगा।
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आसिम मुनीर वर्तमान में पाकिस्तान के इतिहास के सबसे शक्तिशाली सेना प्रमुख बनकर उभरे हैं। उन्हें 2030 तक का कार्यकाल विस्तार मिला है और हाल ही में उन्हें हवाई व नौसेना का भी प्रमुख घोषित कर दिया गया है। संपूर्ण कानूनी सुरक्षा और असीमित शक्तियों के बावजूद, गाजा मिशन का फैसला उनके लिए आत्मघाती हो सकता है।
असीमित शक्ति अक्सर असीमित विरोध को जन्म देती है। अगर मुनीर का यह दांव उल्टा पड़ता है, तो पाकिस्तान में एक नई तरह का गृहयुद्ध या सैन्य तख्तापलट की स्थिति भी पैदा हो सकती है, जो पहले से ही कमजोर हो चुकी अर्थव्यवस्था को पूरी तरह नष्ट कर देगी।






