किम जोंग उन, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
North Korea Nuclear Weapons: उत्तर कोरिया उन दुनिया के 9 देशों में शामिल है जिनके पास परमाणु हथियार हैं। हालांकि प्योंगयांग अपने हथियारों की असली संख्या कभी सार्वजनिक नहीं करता, लेकिन इंटरनेशनल कैंपेन टू एबोलिश न्यूक्लियर वेपन्स (ICAN) के अनुसार, उत्तर कोरिया के पास 50 से अधिक परमाणु हथियार हैं।
अब किम जोंग उन ने अपनी सैन्य रणनीति में बड़ा बदलाव करने का निर्णय लिया है। वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के मुताबिक, किम अब केवल परमाणु हथियारों पर भरोसा नहीं करेंगे, बल्कि पुराने और जंग लगे पारंपरिक हथियारों को भी अपडेट करने की योजना बना रहे हैं। इस योजना में टैंक, राइफल, एयर-डिफेंस सिस्टम और नौसैनिक जहाज जैसे सभी हथियार शामिल हैं।
असल में, रूस-यूक्रेन युद्ध ने किम को यह समझाया कि युद्ध में सिर्फ परमाणु शक्ति ही पर्याप्त नहीं होती। असली संघर्ष की शुरुआत हमेशा टैंकों, तोपों और ड्रोन जैसे पारंपरिक हथियारों से होती है। उत्तर कोरिया की पारंपरिक सेना अभी भी पुराने सोवियत हथियारों पर निर्भर है। लेकिन रूस की मदद से इसे तेजी से आधुनिक बनाने का रास्ता खुल सकता है।
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, किम ने हाल ही में एक बख्तरबंद वाहन संस्थान का दौरा किया और संकेत दिया कि अगले साल वर्कर्स पार्टी की बैठक में वह परमाणु और पारंपरिक दोनों प्रकार की सैन्य ताकतों को साथ-साथ मजबूत करने की नई नीति पेश करेंगे।
रिपोर्ट बताती है कि उत्तर कोरिया ने करीब 15,000 सैनिक रूस के कुरस्क क्षेत्र में भेजे। वहां उन्होंने महसूस किया कि कुछ ऐसे हथियार हैं, जिनका विकास देश ने सालों से नजरअंदाज किया था। इसी अनुभव के चलते अब किम पारंपरिक हथियारों के आधुनिकीकरण पर जोर दे रहे हैं। इसके बदले में रूस उत्तर कोरिया को नकद, तकनीकी मदद, खाद्य सामग्री और तेल जैसी सहायता प्रदान कर रहा है।
उत्तर कोरिया की सबसे बड़ी कमजोरी उसका एयर डिफेंस सिस्टम है। हालांकि, अब उसे रूस से एंटी-एयरक्राफ्ट मिसाइल और अन्य उपकरण मिल रहे हैं। पिछले महीने किम ने एयर-डिफेंस मिसाइल का परीक्षण देखा, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि इसमें रूसी तकनीक का इस्तेमाल हुआ है या नहीं।
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किम जोंग उन ने हाल के भाषणों में देश की नौसैनिक ताकत को बढ़ाने और हथियारों की गुणवत्ता सुधारने पर विशेष ध्यान दिया। यूक्रेन युद्ध में ड्रोन हमलों के अनुभवों से सीख लेते हुए, उन्होंने ड्रोन तकनीक के विकास को भी तेज कर दिया है। हाल ही में किम ने नए आत्मघाती और निगरानी ड्रोन का निरीक्षण किया और कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित क्षमताओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। इस क्षेत्र में रूस से तकनीकी सहयोग भी मिल रहा है।