डोनाल्ड ट्रंप (सौ. सोशल मीडिया )
वाशिंगटन: रूस और यूक्रेन के बीच पिछले तीन वर्षों से युद्ध चल रहा है। इस संघर्ष को समाप्त करने के लिए अब तक कई प्रयास किए जा चुके हैं, लेकिन हर बार ये प्रयास नाकाम हुए हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी शांति स्थापित करने की कोशिश की थी, पर उन्हें सफलता नहीं मिली। अब डोनाल्ड ट्रंप के बेटे, डोनाल्ड ट्रंप जूनियर, ने यह दावा करते हुए कहा कि उनके पिता ही इस युद्ध को रोक पाएंगे।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ’ पर रूस-यूक्रेन युद्ध की वर्तमान स्थिति पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि उन्हें यह जानकारी मिली है कि यूक्रेन के साथ चल रहे इस विवादास्पद युद्ध में सिर्फ इसी महीने लगभग 20,000 रूसी सैनिकों की जान गई है। इस वर्ष की शुरुआत से अभी तक रूसी सेना के 1,12,500 सैनिक मारे जा चुके हैं। उन्होंने इतनी बड़ी संख्या में हुई मौतों को पूरी तरह से व्यर्थ बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि यूक्रेन को भी इस संघर्ष में भारी क्षति उठानी पड़ी है।
ट्रंप ने आगे बताया कि 1 जनवरी, 2025 से अब तक यूक्रेन ने लगभग 8,000 सैनिक खो दिए हैं, और यह संख्या उनके लापता सैनिकों को शामिल नहीं करती। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के नागरिक भी इस युद्ध में प्रभावित हुए हैं, हालांकि संख्या कम है, क्योंकि रूसी रॉकेट हमले कीव और यूक्रेन के अन्य हिस्सों में हुए हैं। उन्होंने इस पूरे संघर्ष को एक अनावश्यक युद्ध बताते हुए कहा कि “यह युद्ध कभी नहीं होना चाहिए था। यह बाइडेन का युद्ध है, ‘मेरा’ नहीं। मैं सिर्फ यह देखने आया हूं कि क्या मैं इसे रोक सकता हूं!”
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रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर डोनाल्ड ट्रंप जूनियर ने अपने पिता के सोशल मीडिया पोस्ट पर टिप्पणी करते हुए कहा कि, “मेरे पिता इस युद्ध को रोक देंगे।” इससे पहले व्हाइट हाउस प्रशासन की ओर से भी दावा किया गया था कि ट्रंप ने छह महीने के भीतर छह युद्धों को रोका है, इसलिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए।
अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया था कि यदि वे फिर से राष्ट्रपति बनते हैं, तो 100 दिनों के भीतर रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त कर देंगे। हालांकि, अब तक वे इस मामले में सफल नहीं हो पाए हैं। ट्रंप ने इस संघर्ष को खत्म करने के लिए कई प्रयास किए, जिसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति से मुलाकात भी शामिल थी। लेकिन यह बैठक तीखी बहस में बदल गई। अब तक युद्धविराम को लेकर दो बार गंभीर चर्चाएं हुई हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है।