नेपाल में सोशल मीडिया बैन के खिलाफ सड़कों पर उतरे छात्र (फोटो- सोशल मीडिया)
Social Media Ban Nepal: नेपाल सरकार ने हाल ही में देश विरोधी एजेंडा चलाने के आरोप में फेसबुक और इंस्टाग्राम समेत 25 सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बैन लगा दिया था। सोमवार को इसके विरोध में नेपाल की राजधानी काठमांडू में हजारों छात्र सड़कों पर उतर आए, और सरकार के फैसले का विरोध करने लगे। मामला इतना बिगड़ गया कि छात्र संसद में घुस गए। हालात इतने बेकाबू हो गए है कि प्रशासन ने उपद्रवियों को देखते ही गोला मारने का आदेश जारी कर दिया है।
हिंसा बढ़ते देख नेपाल सरकार ने राजधानी काठमांडू की सड़कों पर सेना तैनात कर दी है। सेना और छात्रों के बीच हुई झड़प में अब तक 16 प्रदर्शनकारी की मौत हो गई है और कम से कम 100 लोगों के घायल होने की बात कही जा रही है। काठमांडू के कुछ इलाकों में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। जानकारी के मुताबिक सेना प्रदर्शनकारियों पर रबर की गोलियां चलाकर काबू करने की कोशिश कर रही है।
प्रदर्शनकारियों की नाराजगी का तात्कालिक कारण सोशल मीडिया पर लगाया गया प्रतिबंध है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ उठ रही उनकी आवाज को दबाने के लिए यह कदम उठाया है। वहीं, सरकार का दावा है कि ये प्लेटफॉर्म नेपाल में पंजीकरण नहीं करा रहे थे, जबकि युवाओं के लिए ये डिजिटल प्लेटफॉर्म्स आजीविका, करियर और संवाद के अहम साधन हैं।
🚨 BREAKING: 🇳🇵 Nepal’s Gen Z Revolution turns deadly:
3 KILLED, 80+ INJURED in Kathmandu as protests against the ban on 26 social media platforms, including Facebook, YouTube, & X, escalate.
Youth demand end to corruption & censorship, clashing with police near Parliament.… pic.twitter.com/fzDdYhjg6A
— Siddharth (@Siddharth_00001) September 8, 2025
इसके अलावा नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पर आरोप है कि वह चीन की तरह मीडिया पर सेंसरशिप लागू करना चाहते हैं। ओली सरकार ने चीन की नीतियों को लागू करते हुए नागरिकों की डिजिटल आजादी पर सख्त नियंत्रण लगाया और सोशल मीडिया तथा इंटरनेट पर अचानक कड़े प्रतिबंध थोप दिए।
नेपाल में भ्रष्टाचार और सरकारी नाकामी ने युवाओं के बीच गहरा असंतोष पैदा कर दिया है। युवाओं को लगता है कि सरकारी फंड और नौकरियों में पारदर्शिता की भारी कमी है। इसके साथ ही, आर्थिक मंदी के चलते रोजगार के अवसर भी तेजी से घटे हैं। सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध ने युवाओं को और भी झटका दिया। ओली ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर रोक तो लगा दी गई, लेकिन भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे गंभीर मुद्दों पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। इस कारण जनता का गुस्सा भड़क उठा।
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देशभर में हुए विरोध प्रदर्शनों में बड़ी संख्या में कॉलेज छात्र, युवा एक्टिविस्ट और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शामिल थे। काठमांडू सहित कई बड़े शहरों में युवा अलग-अलग समूहों में संगठित होकर सड़कों पर उतरे और सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। ये कुछ-कुछ एक साल पहले बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलन की तरह है।