
डोनाल्ड ट्रम्प और व्लादिमीर पुतिन (सोर्स- सोशल मीडिया)
China Biggest US Adversary: अमेरिका ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में एक महत्वपूर्ण सामरिक परिवर्तन किया है, जिसके तहत रूस को अब ‘खतरा सूची’ (Threat List) से हटा दिया गया है। इस बदलाव के साथ, अमेरिका ने स्पष्ट कर दिया है कि चीन अब उसका सबसे बड़ा वैश्विक प्रतिद्वंद्वी है।
यह कदम केवल रूस के प्रति अमेरिकी विदेश नीति में नई सोच का संकेत नहीं है, बल्कि यह बदलते वैश्विक शक्ति-संतुलन और अमेरिकी प्राथमिकताओं की स्वीकारोक्ति है। यह निर्णय नाटो और ट्रांस-अटलांटिक संबंधों को भी दीर्घकालिक रूप से प्रभावित करेगा।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति (National Security Strategy) में रूस को खतरा सूची से हटाकर एक बड़ा फैसला लिया है। प्रतिष्ठित अमेरिकी थिंक-टैंक जैसे ब्रुकिंग्स और रैंड कॉरपोरेशन इस नीति को स्पष्ट रूप से चीन को प्राथमिक प्रतिद्वंद्वी मानने की रणनीति के रूप में देख रहे हैं।
पहले जिस रूस को अमेरिका 2014 और 2022 के बाद सैन्य रूप से सबसे आक्रामक मानता था, अब उसे व्यापार, ऊर्जा और वैश्विक स्थिरता के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण राजनयिक भागीदार के रूप में वर्णित किया गया है। मॉस्को ने इस निर्णय का स्वागत किया है और इसे व्यावहारिक सामरिक स्वीकारोक्ति बताया है।
अमेरिकी विश्लेषकों का स्पष्ट मानना है कि यह कदम अमेरिका ने किसी कमजोरी के कारण नहीं, बल्कि रणनीतिक बाध्यता और बदली हुई प्राथमिकताओं के कारण उठाया है। अमेरिकी सुरक्षा प्रतिष्ठान अब इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि अमेरिका के सामने वास्तविक और दीर्घकालिक चुनौती चीन है, न कि रूस।
चीन अपनी आर्थिक शक्ति, सैन्य क्षमता, तकनीकी प्रभुत्व और इंडो-पैसिफिक विस्तार के कारण अमेरिका का मुख्य रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी बन चुका है। पेंटागन की रिपोर्ट्स और नेशनल डिफेंस स्ट्रैटेजी सभी इस बात पर जोर देती हैं कि चीन एकमात्र ऐसा देश है जो अमेरिका की वैश्विक श्रेष्ठता को संरचनात्मक रूप से चुनौती दे सकता है। अमेरिका एक ही समय में दो बड़े मोर्चों (रूस और चीन) पर संघर्ष का बोझ नहीं उठाना चाहता।
इस रणनीतिक बदलाव के पीछे नाटो का भार उठाने में यूरोप की विफलता भी एक प्रमुख कारण है। अमेरिका लंबे समय से नाटो के भीतर इस बात से असंतुष्ट था कि वह रक्षा खर्च का बड़ा हिस्सा उठाता है, जबकि अधिकांश यूरोपीय देश अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने में पीछे रहे हैं।
यह भी पढ़ें: इंडिगो को बड़ा झटका देने वाली है सरकार, कभी नहीं उड़ पाएंगी इतनी फ्लाइट्स…दूसरों को मिलेगा मौका
पूर्व पेंटागन रणनीतिक अधिकारियों का कहना है कि यूक्रेन युद्ध ने यह साबित कर दिया कि यूरोप सामरिक रूप से पूरी तरह अमेरिका पर निर्भर है। अमेरिका को अकेले युद्ध का बोझ उठाना पड़ता है। इसी पृष्ठभूमि में, अमेरिका ने यह निर्णय लिया है कि अब वह अपनी ऊर्जा और संसाधन रूस-विरोध की बजाय चीन के साथ दीर्घकालिक प्रतिस्पर्धा पर केंद्रित करेगा।






