सांकेतिक एआई फोटो
Bangladesh Myanmar border Landmines: बांग्लादेश और म्यांमार की सीमा पर बड़े पैमाने पर जमीन के नीचे बारूदी सुरंगों का पता चला है। ये सुरंगें म्यांमार की अराकान आर्मी ने बनाई हैं, जो म्यांमार जुंटा के खिलाफ अपनी स्वतंत्रता और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए संघर्ष कर रही है। बांग्लादेशी अखबार द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले छह महीनों में इन सुरंगों के कारण सीमा क्षेत्र में कम से कम 18 लोग घायल हो चुके हैं। वहीं, 2024 में इन खतरनाक सुरंगों के कारण दो लोगों की जान भी गई थी।
इसके अलावा, अराकान आर्मी के इलाके में बांग्लादेशी और रोहिंग्या तस्करों की लगातार आवाजाही हो रही थी। इस गतिविधि को रोकने के लिए अराकान आर्मी ने बारूदी सुरंगें बिछाने का निर्णय लिया है।
2024 में ह्यूमन राइट्स वॉच की एक रिपोर्ट में बताया गया कि म्यांमार में जुंटा सेना 14 राज्यों में बारूदी सुरंगें बिछा रही है। वहीं, इनके खिलाफ लड़ रहे संगठन भी लगातार सुरंग बनाने में लगे हुए हैं। 2023 में बारूदी सुरंगों की वजह से 1,003 नागरिक मारे गए या घायल हुए।
ज्यादातर बारूदी सुरंगें सीमा के नजदीक लगाई गई हैं। कुछ जगहों पर सुरंगें केवल 300-300 गज की दूरी पर रखी गई हैं। बांग्लादेश सेना के अनुसार, उनकी 211 किलोमीटर लंबी सीमा पर म्यांमार की ओर से सुरंगें मौजूद हैं। इसके जवाब में अराकान आर्मी ने भी सुरंगें लगाने का फैसला किया है।
1997 में ओटावा में एक समझौता हुआ था, जिसमें बारूदी सुरंगों के इस्तेमाल को लेकर नियम बनाए गए। इस समझौते के अनुसार, किसी दूसरे देश के साथ युद्ध न हो तो बारूदी सुरंगें नहीं बिछाई जा सकतीं। वहीं, जमीन के नीचे सुरंगें केवल तब तक लगाई जा सकती हैं जब युद्ध जारी हो।
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बता दें कि फिलहाल म्यांमार में कोई भी युद्ध नहीं चल रहा है। यहां संघर्ष मुख्य रूप से देश के अंदर ही हो रहा है। म्यांमार की सेना, जिसे जुंटा कहा जाता है, पूरे देश पर अपना नियंत्रण बनाए रखने का प्रयास कर रही है। वहीं, अलग-अलग विद्रोही समूह अपने-अपने प्रांतों में अधिक स्वायत्तता या स्वतंत्रता पाने के लिए लड़ रहे हैं। इन विद्रोही समूहों का उद्देश्य स्थानीय क्षेत्रों की सुरक्षा और स्वतंत्र शासन सुनिश्चित करना है।