सांकेतिक फोटो (सो. एआई)
इस्लामाबाद: पिछले कुछ दिनों से पाकिस्तान के कराची शहर में धरती लगातार हिल रही है। अब तक 19 हल्के भूकंप के झटके दर्ज किए जा चुके हैं, जिनमें से अधिकांश झटके मलीर और कोरंगी जैसे क्षेत्रों में महसूस किए गए हैं। ये वही इलाके हैं जो पाकिस्तान की परमाणु गतिविधियों से जुड़े गुप्त ठिकानों के नजदीक स्थित बताए जाते हैं। ऐसे में यह आशंका जताई जा रही है कि कहीं इन परमाणु ठिकानों पर कोई बड़ा खतरा तो नहीं मंडरा रहा।
पहला भूकंप सोमवार की आधी रात को आया, जिसका केंद्र मलीर के पास लगभग 40 किलोमीटर गहराई में था। इसके बाद मंगलवार सुबह तक 19 छोटे-छोटे भूकंप आ चुके थे। इनमें से कुछ की तीव्रता 3.4 तक रिकॉर्ड की गई है, जिसे हल्का भूकंप माना जाता है। हालांकि, इनकी बार-बार होने वाली घटनाएं और स्थान विशेष को लेकर लोग चिंतित हैं।
मलीर, लांधी, कोरंगी और कायदाबाद जैसे इलाकों में भय और असुरक्षा का माहौल बना हुआ है। इन क्षेत्रों की इमारतें पहले ही जर्जर हालत में हैं, और बार-बार आने वाले भूकंपों के झटकों से अब उनमें दरारें पड़ने लगी हैं। स्थानीय लोगों में यह चिंता गहराती जा रही है कि कहीं ये झटके किसी बड़े भूकंप का संकेत तो नहीं हैं। नागरिकों ने प्रशासन से अपील की है कि इमारतों की मजबूती की जांच की जाए और आपदा के समय सुरक्षा और राहत के पर्याप्त इंतजाम किए जाएं।
झटकों के डर से बहुत से लोग अब अपने घर छोड़कर खुले स्थानों पर तंबू लगाकर रहने लगे हैं। कई महिलाएं मस्जिदों में बैठकर कुरान की तिलावत कर रही हैं और शहर की हिफाज़त के लिए दुआएं कर रही हैं। इस दौरान कराची के आयुक्त सैयद हसन नकवी ने लोगों से अपील की है कि वे अफवाहों से दूर रहें और सोशल मीडिया पर फैल रही झूठी खबरों पर ध्यान न दें। उन्होंने सभी से शांति और संयम बनाए रखने की भी गुजारिश की है।
पाकिस्तान मौसम विभाग के भूकंपीय निगरानी केंद्र के अनुसार, हालिया झटकों की मुख्य वजह कराची की लांधी फॉल्ट लाइन का सक्रिय होना है। विभाग के प्रमुख मौसम वैज्ञानिक आमिर हैदर के मुताबिक, यह फॉल्ट लाइन कई दशकों के बाद सक्रिय हुई है और इससे जमीन के अंदर दबाव का धीरे-धीरे निकल रहा है। उन्होंने बताया कि यह एक सामान्य भौगोलिक प्रक्रिया है और इससे बड़े भूकंप की संभावना फिलहाल कम है।
हालांकि, जिस इलाके में ये झटके महसूस किए जा रहे हैं, वहां पाकिस्तान की परमाणु परियोजनाओं की मौजूदगी को लेकर पहले से ही संदेह बना हुआ है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि कहीं इन भूकंपीय गतिविधियों का संबंध परमाणु कार्यक्रमों से तो नहीं है? विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इस तरह की हलचलें जारी रहती हैं, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से गंभीर चिंता का विषय बन सकती हैं।