
अमेरिका-यूरोप रिश्तों में तनाव (सोर्स- सोशल मीडिया)
Trump C5 Plan Threatens Europe: अमेरिकी पूर्व विदेश सचिव हेनरी किसिंजर ने कहा था कि, ‘अमेरिका का दुश्मन बनना खतरनाक है, लेकिन दोस्त बनना घातक।’ शायद यूरोप अब इसे समझ रहा है। डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में अमेरिका की यूरोप नीति बदल रही है। रिपोर्ट्स में ‘C5’प्लान की चर्चा है, जिसमें अमेरिका, रूस, चीन, भारत और जापान जैसे पांच बड़े देश शामिल हैं। इसे लेकर हाल ही में एक मीडिया रिपोर्ट सामने आई है।
हालांकि मीडिया रिपोर्ट को लेकर अभी तक कोई अधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन इसने पूरी दुनिया खासकर यूरोप में हलचल मचा दी है। यह ट्रंप का फोकस अटलांटिक से एशिया और पुराने प्रतिद्वंद्वियों पर शिफ्ट होने का संकेत है, जो नई राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में दिखता है। क्या यह G7 को दरकिनार कर नया हार्ड-पावर समूह बना रहा है?
ठीक 80 साल पहले, 8 मई 1945 को नाजी जर्मनी के पतन से द्वितीय विश्व युद्ध खत्म हुआ। दुनिया दो गुटों में बंटी अमेरिका और सोवियत संघ। 1947 में राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन ने ‘ट्रूमैन सिद्धांत’ घोषित किया। यह वादा था कि अमेरिका उन देशों की रक्षा करेगा जो सशस्त्र हमलों या बाहरी दबाव से आजादी बचाना चाहते हैं। अमेरिका ने पश्चिमी यूरोप को सोवियत खतरे से बचाया, जो चार दशक चला।
ट्रंप का बदलाव रणनीतिक और वैचारिक दोनों है। नई अमेरिकी रणनीति में यूरोप की समस्या बाहरी खतरा नहीं, बल्कि पश्चिमी मूल्यों की उपेक्षा, आप्रवासन, घटती जन्म दर और राष्ट्रीय पहचान का नुकसान है। अमेरिका अब हंगरी के विक्टर ओर्बान और इटली की जियोर्जिया मेलोनी जैसे दक्षिणपंथी नेताओं का समर्थन कर रहा है। ब्रिटेन-फ्रांस पर अलग रुख है। रिपोर्ट्स कहती हैं कि अमेरिका ऑस्ट्रिया, हंगरी, इटली और पोलैंड के साथ ज्यादा करीब आएगा, भले यूरोपीय संघ से अलग हों।
ट्रूमैन सिद्धांत का लक्ष्य सोवियत विस्तार रोकना था। लेकिन ट्रंप रूस के करीब जा रहे हैं। यूक्रेन युद्ध पर यूरोप ने प्रतिबंध लगाए, अमेरिका ने साथ दिया। अब ट्रंप रूस को G8 से निकालना गलती मानते हैं और पुतिन से दोस्ती दिखा रहे हैं। यूक्रेन की मजबूत स्थिति या यूरोप का दबाव टेबल पर नहीं।
यह भी पढ़ें: ब्रिटेन को चुकानी पड़ेगी कीमत…यूक्रेनी अधिकारी किया आगाह, कहा- रूसी हमले के सामने नहीं टिकेगा UK
विशेषज्ञ कहते हैं, ट्रंप के आने से अमेरिका-यूरोपीय संघ रिश्ते खराब हो गए। इसके अलावा उपराष्ट्रपति जेडी वैंस का म्यूनिख सम्मेलन में ‘नया शेरिफ शहर में’ बयान ने हलचल मचाई थी। अमेरिका दक्षिण चीन सागर को प्राथमिकता दे रहा है, क्वाड (अमेरिका, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया) को मजबूत कर रहा है और हिंद-प्रशांत सुरक्षा पर जोर।






