
मौलाना फजलुर रहमान ,आसिम मुनीर (सोर्स- सोशल मीडिया)
Pakistani Maulana Criticised Asim Munir: पाकिस्तान और उसके पड़ोसी अफगानिस्तान के बीच हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं, और हाल ही में युद्ध जैसी स्थिति पैदा हो गई थी। पाकिस्तान ने तालिबान के नियंत्रण वाले अफगानिस्तान पर तीव्र हवाई हमले किए थे, लेकिन अब पाकिस्तान के भीतर ही इस युद्ध के खिलाफ विरोध उभर रहा है। पाकिस्तान के प्रमुख धार्मिक नेता और जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम के नेता मौलाना फजलुर रहमान ने पाकिस्तानी सेना के प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को तीखा आलोचना की है।
उन्होंने बांग्लादेश और कारगिल युद्ध का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान एक और युद्ध का सामना नहीं कर सकता। उन्होंने 1971 के बांग्लादेश युद्ध और 1999 के कारगिल युद्ध का जिक्र करते हुए कहा कि ये दोनों युद्ध पाकिस्तान की साख को नुकसान पहुंचाने वाले थे और यह सब पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ और अन्य अधिकारियों की लापरवाही के कारण हुआ।
मौलाना ने अफगानिस्तान के बारे में पाकिस्तानी सैन्य नीति की आलोचना करते हुए कहा, पाकिस्तान एक और खुद से किया गया युद्ध नहीं झेल सकता। मौलाना का यह भी कहना था कि पाकिस्तानी सेना को बॉर्डर पर लड़ाई के बजाय अपने भीतर के मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए, जैसे कि खैबर पख्तूनख्वा में आतंकवाद, आर्थिक संकट और प्रशासनिक असफलताएँ। उन्होंने इस्लाम के सिद्धांतों का हवाला देते हुए कहा कि मुस्लिम देशों के बीच युद्ध किसी भी सूरत में जायज नहीं हो सकता।
इसी बीच, पाकिस्तान ने यह घोषणा की कि अफगानिस्तान के साथ अगले दौर की वार्ता 6 नवंबर को होगी, और इससे सकारात्मक परिणाम की उम्मीद जताई जा रही है। पाकिस्तान के विदेश कार्यालय के प्रवक्ता ताहिर अंद्राबी ने कहा कि पाकिस्तान अपनी पड़ोसी से तनाव बढ़ाना नहीं चाहता और मध्यस्थता प्रक्रिया में शामिल रहेगा।
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इस महीने की शुरुआत में पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच एक संक्षिप्त संघर्ष हुआ था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच युद्धविराम समझौता हुआ था। इसके बाद, दोहा और इस्तांबुल में हुई वार्ता के बावजूद सीमा पार आतंकवाद के मुद्दे पर कोई ठोस समाधान नहीं निकल सका। फिर भी, दोनों देशों के बीच वार्ता की प्रक्रिया को बचाने के लिए पर्दे के पीछे से तुर्की ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, ताकि 6 नवंबर की वार्ता सफल हो सके।






