
डोनाल्ड ट्रंप (सोर्स- सोशल मीडिया)
 
    
 
    
Trump Administration H-1B Visa Video: संयुक्त राज्य अमेरिका के श्रम विभाग ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो जारी किया है, जिसमें एच-1बी वीजा के कथित दुरुपयोग का जिक्र किया गया है। वीडियो में यह दावा किया गया है कि विदेशी कर्मचारी अमेरिकी नागरिकों के अमेरिकी सपने छीन रहे हैं। माना जा रहा है वीडियों में वो भारतीय पेशेवरों की ओर इशारा कर रहे हैं। जिनकी संख्या अमेरिका में सबसे ज्यादा है।
वीडियो में एक पाई-चार्ट दिखाया गया है, जिसमें एच-1बी वीजा धारकों के देशों के अनुसार वितरण को दर्शाया गया है। इसमें भारत सबसे ऊपर है, जिसका हिस्सा 72 प्रतिशत दिखाया गया है। वीडियो में कहा गया है कि विदेशी कर्मचारियों ने अमेरिका के कई युवाओं के सपने छीन लिए क्योंकि राजनेताओं और नौकरशाहों ने कंपनियों को एच-1बी वीजा का दुरुपयोग करने की अनुमति दी है।
इसके साथ ही वीडियो में यह भी बताया गया है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रोजेक्ट फायरवॉल के तहत कंपनियों को एच-1बी वीजा के दुरुपयोग के लिए जवाबदेह ठहराया जा रहा है और भर्ती प्रक्रिया में अमेरिकी नागरिकों को प्राथमिकता दी जा रही है। 52 सेकंड के इस वीडियो का समापन वाक्य था। अमेरिकी लोगों के लिए अमेरिकी सपने को फिर से साकार करना।
Young Americans have had the American Dream stolen from them, as jobs have been replaced by foreign workers due to rampant abuse of the H-1B visa. Under @POTUS and @SecretaryLCD’s leadership, we’re holding companies accountable for their abuse—and recapturing the American Dream… pic.twitter.com/x3lqJS9CyG — U.S. Department of Labor (@USDOL) October 30, 2025
होमलैंड सिक्योरिटी कार्यालय के आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में अमेरिका में सबसे अधिक इमिग्रेंट भारत से आए थे, जो कुल गैर-आप्रवासी आबादी का 33 प्रतिशत थे। ट्रंप प्रशासन ने 19 सितंबर को घोषणा की थी कि एच-1बी वीजा पर 100,000 डॉलर का अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा, जो 21 सितंबर से लागू हो गया।
इस कदम से अमेरिका में भारतीय समुदाय में खलबली मची, लेकिन व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि यह शुल्क सालाना नहीं, बल्कि केवल एक बार लगेगा और मौजूदा वीजा धारकों पर इसका कोई असर नहीं होगा।
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एच-1बी वीजा की फीस एक लाख डॉलर (करीब 88 लाख रुपये) तक बढ़ जाने से हजारों भारतीय पेशेवरों पर सीधा असर पड़ा है। इस अचानक और भारी वृद्धि के कारण अमेरिकी कंपनियां भारतीय आईटी और तकनीकी कर्मचारियों को कम भर्ती करेंगी। इसके परिणामस्वरूप अमेरिका में युवा पेशेवरों और नौकरी चाहने वालों के लिए अवसर घट जाएंगे।






