फिलिस्तीनी नागरिक (फोटो- सोशल मीडिया)
Israel Sudan Secret Meeting: इजराइल और दक्षिण सूडान के बीच हाल ही में एक सीक्रेट मीटिंग शुरू हुई है, जिसका मकसद गाजा पट्टी से फिलिस्तीनियों को निकालकर नर्क जैसे हालात वाले पूर्वी अफ्रीका देशों में ट्रांसफर करना है। जिसमें इजराइल अपने इस प्लान में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भी साथ मिल रहा है। हालांकि इस योजना में अब तक कितनी प्रगति हुई है, यह साफ नहीं है।
जानकारी के अनुसार, इस प्लान के अंतर्गत गाजा में रहने वाले फिलिस्तीनियों को युद्ध और मानवीय संकट से ग्रस्त अपनी मातृभूमि छोड़कर एक ऐसे देश में ले जाया जाएगा, जो खुद भी राजनीतिक अस्थिरता, गरीबी और भुखमरी का सामना कर रहा है। मानवाधिकार संगठनों और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के कई वर्गों ने इस योजना को खतरनाक और अव्यवहारिक बताया है।
प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू इसे “स्वैच्छिक प्रवास” का नाम देते हैं और गाजा में रहने वाली आबादी को बड़े पैमाने पर बाहर निकालने की बात करते हैं। हालांकि उन्होंने दक्षिण सूडान का नाम नहीं लिया, लेकिन उनके रुख से यह स्पष्ट है कि वे गाजा को खाली कराना चाहते हैं ताकि इजराइल को सैन्य कार्रवाई में आसानी हो।
दूसरी ओर, फ़िलिस्तीनी नेता और अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन इस योजना को जबरन निर्वासन बताते हैं, जिसे वे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन मानते हैं। मिस्र सहित कई देश भी इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे हैं और दक्षिण सूडान को इसमें शामिल न होने की सलाह दे रहे हैं।
दक्षिण सूडान, जो 2011 में स्वतंत्र हुआ था, आर्थिक तंगी और लंबे समय से जारी गृहयुद्ध के कारण खुद संकट में है। भ्रष्टाचार, भुखमरी और राजनीतिक अस्थिरता ने इसे दुनिया के सबसे असुरक्षित देशों में से एक बना दिया है। विशेषज्ञों का मानना है कि वहां फिलिस्तीनियों को जातीय और धार्मिक टकरावों का सामना करना पड़ सकता है।
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इजराइल और अमेरिका ने कथित तौर पर अन्य अफ्रीकी देशों जैसे सूडान, सोमालिया और सोमालीलैंड के साथ भी इस तरह के संभावित समझौतों पर बात की है, लेकिन इन चर्चाओं की स्थिति स्पष्ट नहीं है। गाजा में रहने वाले अधिकांश लोग स्थायी पलायन के पक्ष में नहीं हैं। वे इसे अपनी मातृभूमि मानते हैं और डरते हैं कि एक बार चले गए तो वे कभी वापस नहीं लौट पाएंगे।