ईरान मुद्रा सुधार (सोर्स- सोशल मीडिया)
Iran: ईरान अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध और लंबे समय से चल रहे युद्ध की मार झेल रहा है। इसका असर अब देश की अर्थव्यवस्था पर भी दिखने लगा है, और महंगाई अपने चरम पर है। इसके चलते ईरान की सरकार ने ऐतिहासिक फैसला लेते हुए अपनी करेंसी ‘रियाल’ से चार शून्य (0) हटाने का ऐलान किया है। अब भारतीय एक रुपए की कीमत ईरान में 473.44 रियाल हो गई है।
मतलब, अगर अभी किसी चीज़ की कीमत 10,000 रियाल है, तो बदलाव के बाद वही कीमत 1 नया रियाल होगी। इस फैसले को ईरानी संसद की मंजूरी मिल चुकी है। इसका मुख्य कारण है देश में लगातार बढ़ती महंगाई और करेंसी की घटती कीमत। ईरान से पहले दुनिया के कई अन्य देश महंगाई से निपटने के लिए ऐसा कर चुके हैं।
1979 की इस्लामिक क्रांति के बाद से ईरान में महंगाई दर लगातार 10% से ऊपर बनी रही है। विदेशों से आयातित वस्तुएं बेहद महंगी हो गई हैं, जबकि निर्यात कम होने के कारण ईरानी करेंसी ‘रियाल’ की वैल्यू लगातार गिरती रही। हालात इतने खराब हो गए कि 2023 में रियाल का अवमूल्यन भी महंगाई के सामने फीका पड़ गया। अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों और राजनीतिक अलगाव के चलते विदेशी मुद्रा देश में नहीं आ पाई, जिससे ईरान की अर्थव्यवस्था लगभग दम तोड़ने लगी है।
स्थानीय मीडिया के मुताबिक, रियाल की वैल्यू में कोई बदलाव नहीं होगा, लेकिन नोटों से चार शून्य हटा दिए जाएंगे। उदाहरण के लिए, 10,000 रियाल अब सिर्फ 1 नया रियाल कहलाएगा। इससे लेन-देन आसान होगा, और नोट गिनने की झंझट कम होगी। केंद्रीय बैंक को इस बदलाव की तैयारी के लिए दो साल का समय मिलेगा, और फिर तीन साल तक पुराने और नए नोट साथ चलेंगे।
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ईरान दुनिया का पहला देश नहीं है, जिसने महंगाई से निपटने के लिए ऐसा कदम उठाया हो। ईरान से पहले वेनेजुएला ने अपनी करेंसी से 2018 में 5 शून्य हटाए थे। इसके बाद 2021 में भी फिर से ऐसा किया गया था। इसके अलावा जिम्बाब्वे ने साल 2000 में अपने 10 खरब डॉलर के नोट से जीरो हटाने का फैसला किया था। ऐसा करने वाले देशों में तुर्की का नाम भी आता है, जिसने 2005 में 6 शून्य हटाए थे और नया लिरा लाकर अपनी अर्थव्यवस्था को संकट से सफलतापूर्वक बाहर निकाला था।