ख्वाजा आसिफ, फोटो (सो.सोशल मीडिया)
Pakistan Saudi Arabia defense deal: पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने इस्लामाबाद में पत्रकारों से कहा कि यदि भारत पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध की घोषणा करता है, तो सऊदी अरब पाकिस्तान की सुरक्षा करेगा। उन्होंने बताया कि हाल ही में पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए समझौते में रणनीतिक पारस्परिक सहायता का प्रावधान शामिल है। ख्वाजा आसिफ ने पाकिस्तानी चैनल जियो टीवी से बातचीत में इस समझौते की तुलना नाटो के अनुच्छेद 5 से की, जिसमें ‘सामूहिक रक्षा’ का सिद्धांत लागू होता है। इसका मतलब है कि किसी एक सदस्य देश पर हमला होने पर इसे सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाता है।
साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया कि सऊदी अरब के साथ यह समझौता आक्रामक नहीं बल्कि रक्षात्मक है। नाटो का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि यदि किसी पर हमला होता है, चाहे वह पाकिस्तान हो या सऊदी अरब, तो दोनों देश मिलकर इसका सामना करेंगे। रिपोर्ट के अनुसार, ख्वाजा आसिफ ने बताया कि इस समझौते का उद्देश्य किसी भी तरह के हमले के लिए उपयोग करना नहीं है। लेकिन अगर पाकिस्तान या सऊदी अरब किसी खतरे का सामना करते हैं, तो यह व्यवस्था अपने आप लागू हो जाएगी।
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा कि पाकिस्तान के परमाणु हथियार सऊदी अरब के उपयोग के लिए उपलब्ध रहेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस नए समझौते के तहत पाकिस्तान अपनी क्षमताओं को साझा करने के लिए तैयार है। आसिफ ने यह भी जोड़ा कि पाकिस्तान ने हमेशा अपनी परमाणु सुविधाओं की निगरानी की अनुमति दी है और कभी किसी नियम का उल्लंघन नहीं किया।
रिपोर्ट के अनुसार, जब एक वरिष्ठ सऊदी अधिकारी से पूछा गया कि क्या इसका मतलब है कि पाकिस्तान अब सऊदी अरब की परमाणु सुरक्षा के लिए बाध्य है, तो उन्होंने कहा कि यह एक व्यापक रक्षात्मक समझौता है, जिसमें सभी प्रकार के सैन्य साधन शामिल हैं।
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इस हफ़्ते पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की रियाद यात्रा के दौरान पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच ‘पारस्परिक रक्षा’ समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। भारत सरकार ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह समझौता दोनों देशों के बीच लंबे समय से चली आ रही रक्षा व्यवस्था को औपचारिक रूप देने जैसा है और इसके निहितार्थों का विश्लेषण किया जा रहा है। वहीं, सैन्य और राजनीतिक विशेषज्ञों ने बताया कि यह समझौता सऊदी अरब के वित्तीय संसाधनों को पाकिस्तान के परमाणु कार्यक्रम से जोड़ता है और दोनों देशों के लिए इसे एक महत्वपूर्ण सफलता माना जा रहा है।