
काबुल में खुल रहा इंडिया का रिसर्च सेंटर, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
India Afghanistan Relations: भारत और अफगानिस्तान के बीच कूटनीतिक और आर्थिक सहयोग में हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम देखा गया है। भारत अफगानिस्तान में ‘अफगान-हिंदू रिसर्च सेंटर’ खोलने जा रहा है, साथ ही अफगान अधिकारियों को कृषि क्षेत्र में ऑनलाइन और ऑफलाइन प्रशिक्षण देने की योजना बनाई गई है।
गुरुवार को अफगानिस्तान के कृषि, सिंचाई और पशुधन मंत्री मौलवी अताउल्लाह ओमारी ने काबुल स्थित भारतीय दूतावास में भारत के राजदूत करण यादव से मुलाकात की। इस मुलाकात में कृषि, सिंचाई, पशुधन, कृषि उत्पादों के निर्यात और मशीनीकृत कृषि उपकरणों के आयात जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई।
अफगानिस्तान के कृषि मंत्रालय के अनुसार, अताउल्लाह ओमारी ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों के अनुकूल फसल विकसित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि जलवायु-प्रतिरोधी किस्मों के लिए वैज्ञानिक अनुसंधान बेहद जरूरी है। भारतीय राजदूत करण यादव ने इस पर आश्वासन दिया कि भारत अफगानिस्तान में अनुसंधान केंद्र स्थापित करेगा और विशेषज्ञों को प्रशिक्षण देगा।
अफगान सरकार ने भारत से लैबों के आधुनिकीकरण, चेक प्वाइंट निर्माण और पशु स्वास्थ्य गुणवत्ता नियंत्रण प्रयोगशालाओं को मजबूत करने में मदद की अपील की। इसके अलावा, कृषि और पशुधन उत्पादों के निर्यात में वीजा और लॉजिस्टिक सुविधाओं में सहयोग के लिए भी भारत ने सकारात्मक संकेत दिया।
भारत-अफगान संबंधों में यह कदम विशेष महत्व रखता है। बता दें कि 2021 में तालिबान सत्ता में आने के बाद भारत ने तालिबान के साथ व्यावहारिक सहयोग की नीति अपनाई। भारत ने अफगानिस्तान में 2001-2021 तक 3 बिलियन डॉलर से अधिक के इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश किए, जिसमें सड़कें, बांध और संसद भवन निर्माण शामिल हैं।
यह भी पढ़ें:- VIDEO: ट्रंप कर रहे थे प्रेस कॉन्फ्रेंस, तभी अचानक गिर पड़ा शख्स…पूरे व्हाइट हाउस में मचा हड़कंप
बता दें कि हाल के वर्षों में भारत ने तालिबान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी के साथ कूटनीतिक संवाद शुरू किया, जिसमें व्यापार और क्षेत्रीय संपर्क बढ़ाने पर चर्चा हुई। हाल के भूकंप के बाद भारत ने 15 टन खाद्य सहायता भेजकर सहयोग जारी रखा।
इस रणनीतिक कदम से भारत ने क्षेत्रीय स्थिरता और आतंकवाद रोकथाम में तालिबान पर प्रभाव बढ़ाने की कोशिश की है। हालांकि भारत ने तालिबान को औपचारिक मान्यता नहीं दी, लेकिन व्यावहारिक और आर्थिक सहयोग पर जोर दिया जा रहा है।






