भारत ने नागरिकों को रूसी सेना में शामिल न होने की सलाह दी, फोटो (सो. सोशल मीडिया)
Indian Trapped in Russian Army: रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच दो भारतीय युवाओं ने आरोप लगाया है कि उन्हें धोखे से रूसी सेना में भर्ती कर युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया गया। उनका कहना है कि उनके साथ करीब 13 और भारतीय भी फंसे हुए हैं। इस खुलासे के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि वह इस मामले की जानकारी जुटा रहा है और रूस के साथ संपर्क बनाए हुए है। विदेश मंत्रालय ने इस खबर पर प्रतिक्रिया देते हुए बयान जारी किया है। मंत्रालय ने सख्त चेतावनी दी है कि किसी भी परिस्थिति में रूसी सेना में भर्ती होने का ऑफर स्वीकार न किया जाए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मीडिया से बातचीत में कहा कि पिछले एक वर्ष में भारत सरकार कई बार इस तरह की भर्तियों से जुड़े खतरों और जोखिमों पर चेतावनी जारी कर चुकी है और भारतीय नागरिकों को सतर्क रहने की सलाह दी गई है। उन्होंने आगे बताया, “हाल ही में हमें जानकारी मिली है कि भारतीय नागरिकों को रूसी सेना में भर्ती किया जा रहा है। इस पर हमने दिल्ली और मॉस्को दोनों जगह रूसी अधिकारियों के साथ बात की है और उनसे इस प्रथा को तुरंत रोकने तथा हमारे नागरिकों को रिहा करने की मांग की है।”
मंत्रालय ने बताया कि वह प्रभावित भारतीय नागरिकों के परिजनों से लगातार संपर्क बनाए हुए है। प्रवक्ता ने भारतीयों से अपील की कि वे रूसी सेना में शामिल होने के किसी भी प्रलोभन से दूर रहें, क्योंकि यह बेहद जोखिम भरा कदम साबित हो सकता है। यह चेतावनी उन हालिया रिपोर्टों के बाद जारी की गई है, जिनमें कहा गया था कि कुछ भारतीय नागरिकों को धोखे से रूस-यूक्रेन युद्ध क्षेत्र में भेजा गया।
एक अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक़, पूर्वी यूक्रेन के डोनेट्स्क इलाके में दो भारतीय युवक फंसे हुए हैं। उनका कहना है कि उन्हें रूस निर्माण कार्य के बहाने बुलाया गया था, लेकिन वहां पहुंचने के बाद उन्हें मोर्चे पर भेज दिया गया। नवंबर 2024 में रूस के कब्ज़े वाले सेलिडोव शहर से फोन पर बातचीत के दौरान दोनों ने दावा किया कि उनके साथ कम से कम 13 और भारतीय भी इसी तरह की स्थिति में फंसे हैं। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि ये युवक पिछले छह महीनों में स्टूडेंट या विज़िटर वीजा पर रूस गए थे। उनका आरोप है कि एक एजेंट ने उन्हें निर्माण क्षेत्र में नौकरी देने का भरोसा दिलाया था, लेकिन धोखे से युद्धक्षेत्र में पहुंचा दिया गया।
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गौर करने वाली बात यह है कि अगस्त 2024 में रूसी दूतावास ने आधिकारिक घोषणा की थी कि भारतीय नागरिकों की सेना में भर्ती नहीं होगी। इससे पहले, जुलाई 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मास्को में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ मुलाकात के दौरान यह मुद्दा उठाया था। लेकिन अब इस ताजा रिपोर्ट ने इस आश्वासन पर संदेह जताते हुए सवाल खड़े कर दिए हैं।