डोनाल्ड ट्रंप, जेलेंस्की व पुतिन (सोर्स: सोशल मीडिया)
Ukraine News Hindi: रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से चल रहा युद्ध एक बार फिर तेज हो गया है। 6 सितंबर को डोनेट्स्क क्षेत्र का रणनीतिक कस्बा मार्कोवे पूरी तरह से रूसी सेना के कब्ज़े में चला गया है। वहीं, यूक्रेन ने भी पलटवार करते हुए रूस की रियाजान ऑयल रिफाइनरी और लुहान्स्क ऑयल डिपो पर ड्रोन हमले किए हैं।
रूसी समाचार एजेंसी TASS की रिपोर्ट के अनुसार, रूस के रक्षा मंत्रालय ने मार्कोवे पर अपने नियंत्रण की पुष्टि की है। यह इलाका लंबे समय से संघर्ष का केंद्र रहा है और सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है।
यूक्रेन की ड्रोन यूनिट के प्रमुख रॉबर्ट ब्रॉवदी ने बताया कि उनकी टीम ने रूस के भीतर स्थित दो प्रमुख तेल ठिकानों पर हमला किया। रूसी गवर्नर पावेल मालकोव ने कहा कि वायु रक्षा प्रणाली ने 8 ड्रोन मार गिराए, हालांकि उनके कुछ हिस्से औद्योगिक क्षेत्र में गिरे। इस अटैक में किसी तरह की जनहानि नहीं हुई है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में कांग्रेस प्रतिनिधियों के साथ डिनर के दौरान स्वीकार किया कि यूक्रेन युद्ध उनकी सबसे बड़ी असफलता रहा। उन्होंने कहा, “सिर्फ सात महीनों में सात जंगें रोक दीं, लेकिन यह जंग जिसे मैंने सबसे आसान समझा था, वही सबसे कठिन साबित हुई। पुतिन से अच्छे रिश्ते भी किसी काम नहीं आए।” यह बयान दर्शाता है कि अमेरिका की रणनीति अब तक निर्णायक साबित नहीं हो सकी है।
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने संकेत दिए हैं कि जल्द ही देश में विदेशी सैनिकों की तैनाती की जा सकती है। यह योजना Coalition of the Willing नामक गठबंधन के तहत आगे बढ़ाई जाएगी, जिसका नेतृत्व फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों कर रहे हैं।
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चेतावनी दी है कि यदि यूक्रेन में विदेशी सैनिक आते हैं तो उन्हें रूसी सेना ‘वैध निशाना’ मानेगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अगर किसी दीर्घकालिक शांति समझौते पर सहमति बनती है तो इस तरह की तैनाती की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।
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क्रेमलिन प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने स्वीकार किया कि उत्तर कोरिया के सैनिक रूस की मदद कर रहे हैं, लेकिन उन्होंने इस बात से इनकार किया कि वे यूक्रेन सीमा पर तैनात हैं। उनके अनुसार, उत्तर कोरियाई सैनिक सिर्फ रूसी सीमा के भीतर ही सक्रिय हैं।
कनाडा के प्रधानमंत्री मार्क कार्नी ने संकेत दिए हैं कि रूस पर नए आर्थिक प्रतिबंध जल्द ही लगाए जा सकते हैं। उनका कहना है कि यह कदम पुतिन सरकार पर दबाव बनाने के लिए उठाया जाएगा, ताकि उसे युद्ध रोकने के लिए मजबूर किया जा सके।