
वॉशिंगटन स्थित 'जीनोसाइड वॉच' ने शिनजियांग में उइघुरों के दमन पर 'जीनोसाइड इमरजेंसी' घोषित (सोर्स-सोशल मीडिया)
Xinjiang Detention Camps 2025: चीन के शिनजियांग प्रांत में उइघुर मुस्लिमों पर हो रहे अत्याचारों को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक बार फिर गंभीर चिंता जताई गई है। वॉशिंगटन की प्रमुख संस्था ‘जीनोसाइड वॉच’ ने अपनी ताजा रिपोर्ट 2025 में चीन के खिलाफ ‘जीनोसाइड इमरजेंसी’ यानी नरसंहार आपातकाल की घोषणा की है।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी (CCP) एक सोची-समझी रणनीति के तहत उइगरों की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान को मिटाने में जुटी है। संस्था ने वैश्विक समुदाय से इस अमानवीय दमन को रोकने के लिए तत्काल कड़े कदम उठाने की अपील की है।
जीनोसाइड वॉच की रिपोर्ट “Genocide Emergency: Xinjiang, China 2025” के अनुसार, 2017 से अब तक करीब 8 लाख से 20 लाख उइघुर लोगों को जबरन सामूहिक हिरासत केंद्रों में रखा गया है। इन केंद्रों को चीन “पुनर्शिक्षा केंद्र” कहता है, लेकिन वास्तविकता में यहां लोगों पर जबरन कम्युनिस्ट विचारधारा थोपी जाती है।
इन केंद्रों के भीतर शारीरिक शोषण, यौन हिंसा और व्यवस्थित सांस्कृतिक विनाश की खबरें लगातार सामने आ रही हैं। बंदियों को उनकी मातृभाषा बोलने और इस्लाम का पालन करने से रोका जा रहा है, जो मानवाधिकारों का खुला उल्लंघन है।
चीन की सरकार शिनजियांग में उइघुरों की पारंपरिक पहचान को खत्म कर वहां ‘हान चीनी’ संस्कृति को थोप रही है। रिपोर्ट बताती है कि 1990 के दशक से “उत्तर-पश्चिम विकास योजना” के जरिए लाखों हान चीनी लोगों को शिनजियांग में बसाया गया है ताकि वहां की जनसांख्यिकी को बदला जा सके।
आज शिनजियांग दुनिया के सबसे अधिक निगरानी वाले क्षेत्रों में से एक बन चुका है। रिपोर्ट के मुताबिक, एआई-आधारित सीसीटीवी सिस्टम, बायोमेट्रिक डेटा संग्रह और फेस रिकग्निशन तकनीक के जरिए हर उइगर नागरिक की आवाजाही पर नजर रखी जा रही है।
यही नहीं, चीनी अधिकारियों ने उइघुर परिवारों के घरों में “हान चीनी निगरानीकर्ता” तक तैनात कर दिए हैं, जो उनके निजी जीवन और बातचीत पर नजर रखते हैं। चीन इन कदमों को “आतंकवाद-विरोधी” प्रयास कहता है, जबकि संस्था ने इसे एक विशेष जातीय समूह को निशाना बनाने वाला अभियान बताया है।
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उइगरों के दमन की जड़ें काफी पुरानी हैं। 1997 और 2009 में हुए विरोध प्रदर्शनों को चीन ने सैन्य बल से दबा दिया था, जिसमें सैकड़ों लोग मारे गए थे। अब यह दमन डिजिटल और मनोवैज्ञानिक रूप ले चुका है।
जीनोसाइड वॉच की रिपोर्ट चेतावनी देती है कि यदि दुनिया ने अभी हस्तक्षेप नहीं किया, तो उइगर संस्कृति पूरी तरह विलुप्त हो सकती है। रिपोर्ट में अंतरराष्ट्रीय संगठनों से चीन पर आर्थिक प्रतिबंध लगाने और शिनजियांग में स्वतंत्र जांच दल भेजने की मांग की गई है ताकि इस ‘जीनोसाइड’ को रोका जा सके।






