
पाक सेना प्रमुख आसिम मुनीर (सोर्स-सोशल मीडिया)
TTP Terrorist Infiltration 2025: पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच बढ़ता तनाव अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है, जहां कूटनीति की जगह चेतावनियों ने ले ली है। सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर ने स्पष्ट किया है कि काबुल को अब इस्लामाबाद और आतंकी संगठन टीटीपी (TTP) के बीच किसी एक का चुनाव करना होगा।
मुनीर ने सीधे तौर पर आरोप लगाया है कि पाकिस्तान में घुसपैठ करने वाले अधिकांश आतंकी अफगान नागरिक हैं, जो सीमा पार से हमले कर रहे हैं। इस बयान ने डूरंड लाइन के दोनों ओर सुरक्षा और द्विपक्षीय संबंधों को लेकर एक नई बहस छेड़ दी है, जिससे मध्य एशिया की राजनीति गरमा गई है।
इस्लामाबाद में आयोजित नेशनल उलेमा कॉन्फ्रेंस के दौरान जनरल आसिम मुनीर ने अफगानिस्तान के तालिबानी शासन पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान अब आतंकवाद को सहन नहीं करेगा। मुनीर के अनुसार, पाकिस्तान में घुसपैठ करने वाले समूहों में 70 प्रतिशत से अधिक आतंकी अफगान नागरिक हैं।
उन्होंने काबुल को चेतावनी दी कि यदि उन्हें पाकिस्तान के साथ अच्छे संबंध चाहिए, तो उन्हें टीटीपी (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के ठिकानों को खत्म करना होगा। यह पाकिस्तान की ओर से अब तक का सबसे सख्त कूटनीतिक संदेश माना जा रहा है।
अपने संबोधन में मुनीर ने न केवल सीमा पार आतंकवाद पर बात की, बल्कि धार्मिक अधिकारों को लेकर भी महत्वपूर्ण टिप्पणी की। उन्होंने जोर देकर कहा कि इस्लाम में ‘जिहाद’ का आह्वान करने का अधिकार किसी व्यक्ति या गैर-सरकारी संगठन (Non-State Actors) को नहीं है।
मुनीर के मुताबिक, केवल राज्य (The State) ही जिहाद का ऐलान कर सकता है। उनका यह बयान उन उग्रवादी संगठनों के खिलाफ था जो धर्म की आड़ में पाकिस्तान की आंतरिक सुरक्षा के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं।
भारत के संदर्भ में बात करते हुए आसिम मुनीर ने मई 2025 में हुए सैन्य टकराव का जिक्र किया। उन्होंने दावा किया कि भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के जवाब में पाकिस्तान को ‘दैवीय सहायता’ मिली थी।
गौरतलब है कि मई में पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना ने पीओके और पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर बड़ी कार्रवाई की थी। मुनीर ने इस तनावपूर्ण अवधि को याद करते हुए पाकिस्तानी सेना के मनोबल को बढ़ाने की कोशिश की, हालांकि अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान के दावों को हमेशा संदेह की दृष्टि से देखा गया है।
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पाकिस्तान का लंबे समय से आरोप रहा है कि अफगान तालिबान टीटीपी को शरण दे रहा है, जो डूरंड लाइन पार कर पाकिस्तान में सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं। वहीं, काबुल इन आरोपों को सिरे से खारिज करता रहा है।
मुनीर का हालिया बयान यह दर्शाता है कि पाकिस्तान अब केवल बातचीत के भरोसे नहीं है और भविष्य में सीमा पर सैन्य कार्रवाई बढ़ सकती है। दोनों देशों के बीच अविश्वास की यह खाई अब व्यापार और आम नागरिकों की आवाजाही को भी प्रभावित कर रही है।






