तेहरान पहुंचे ड्रैगन के प्लेन, फोटो (सो.सोशल माडिया)
तेहरान: मिडिल ईस्ट में ईरान और इजरायल के बीच बढ़ते तनाव के बीच एक नई घटना ने दुनिया की चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में तेहरान हवाई अड्डे पर एक चीनी मालवाहक विमान का रहस्यमय तरीके से उतरना चर्चा का विषय बन गया है। रिपोर्टों के अनुसार, इस विमान ने अपना ट्रांसपॉन्डर बंद कर दिया था, जिसका मतलब है कि यह जानबूझकर रडार की नजरों से बचकर उड़ान भर रहा था।
इस घटना को चीन और ईरान के बीच गोपनीय सैन्य सहयोग से जुड़ी हुई माना जा रहा है। विश्लेषकों के अनुसार, यह विमान संभवतः हथियारों या अन्य गोपनीय सैन्य उपकरणों को लेकर ईरान गया होगा। चीन और ईरान के बीच लंबे समय से चली आ रही रणनीतिक मित्रता को ध्यान में रखते हुए यह संभावना और मजबूत हो जाती है।
वहीं, अमेरिका ने भी इस मामले में प्रतिक्रिया दी है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ईरान को स्पष्ट चेतावनी देते हुए कहा है कि यदि वह कोई उकसावे वाली हरकत करता है, तो उसे इसके गंभीर नतीजे झेलने पड़ सकते हैं। ऐसे में, चीन का ईरान का खुलकर समर्थन करना और संभावित रूप से सैन्य सहायता पहुंचाना, अमेरिका और इज़रायल दोनों के लिए चिंता पैदा करने वाला कदम माना जा रहा है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि चीन ईरान की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का समर्थन करता है। उन्होंने इज़रायल द्वारा किए गए हमलों पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि चीन “ऑपरेशन राइजिंग लॉयन” जैसे सैन्य अभियानों के गंभीर परिणामों को लेकर चिंतित है और वह किसी भी ऐसे कार्य का विरोध करता है जिससे क्षेत्र में तनाव और बढ़े।
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13 जून को इजरायली वायुसेना ने लगभग 200 लड़ाकू विमानों के साथ ईरान के परमाणु स्थलों, सैन्य कमांड केंद्रों और रणनीतिक ठिकानों पर भारी हमला किया। जिसके जवाब में ईरान ने इजरायल पर बैलिस्टिक मिसाइलों की बौछार कर दी, जिनमें से कई मिसाइलें इजरायल में अपने लक्ष्यों तक पहुंचने में सफल रहीं। जवाबी कार्रवाई में इजरायल ने तेहरान स्थित एक तेल डिपो को निशाना बनाया।
ईरान और इजरायल के बीच चल रहा टकराव अब तीसरे दिन तक पहुंच गया है। पिछली रात दोनों देशों ने एक-दूसरे के अहम ठिकानों पर फिर से हमले किए। इज़रायल ने ईरान की एक प्रमुख गैस साइट को निशाना बनाया, जो विश्व की सबसे बड़ी गैस उत्पादन सुविधाओं में से एक है। हमले की वजह से भयंकर आग लग गई जिसके बाद वहां उत्पादन रोकना पड़ा। साथ ही, इजरायल ने ईरान के परमाणु स्थल के साथ-साथ कई अन्य स्थानों पर भी हमले किए। अब तक इस जंग में ईरान में 138 लोगों की जान जा चुकी है।