
बांग्लादेश में हिंसा और अशांति की फोटो (सो.सोशल मीडिया)
Bangladesh Violence Latest News Upadate: बांग्लादेश में हिंसा और अशांति के माहौल के बीच गुरुवार को भारत-बांग्लादेश सीमा पर तनाव देखने को मिला। पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में स्थित पेट्रापोल-बेनापोल बॉर्डर पर बांग्लादेश की ओर सैकड़ों लोग जमा हो गए और भारत विरोधी नारे लगाने लगे। सूत्रों के मुताबिक, यह नारेबाजी काफी देर तक जारी रही जिससे सीमा पर तैनात सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गईं।
स्थिति बिगड़ती देख बांग्लादेश पुलिस और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB) ने मोर्चा संभाला और लाठीचार्ज कर प्रदर्शनकारियों को वहां से खदेड़ा। इसके बाद हालात पर कुछ हद तक काबू पाया गया लेकिन घटना ने दोनों देशों के बीच सीमा सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इस बीच बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसका नेतृत्व मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं एक बार फिर कटघरे में है। आरोप है कि यूनुस सरकार देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखने में पूरी तरह विफल साबित हो रही है। हालिया हिंसा में अल्पसंख्यकों को निशाना बनाए जाने की खबरों ने हालात को और संवेदनशील बना दिया है।
भारत आ रहे कई बांग्लादेशी नागरिकों ने सीमा पर बातचीत के दौरान बताया कि देश में फैली अशांति से आम लोग खुश नहीं हैं। उनका कहना है कि वे भारत के साथ अच्छे और शांतिपूर्ण रिश्ते बनाए रखना चाहते हैं। अलग-अलग जरूरतों के लिए भारत आने वाले यात्रियों ने उम्मीद जताई कि बांग्लादेश में हालात जल्द सामान्य होंगे और शांति लौटेगी।
हालांकि, कुछ लोगों का यह भी कहना है कि पूरे बांग्लादेश में एक जैसी स्थिति नहीं है। उनके अनुसार, हिंसा और अशांति की घटनाएं ज्यादातर ढाका और उसके आसपास के इलाकों में देखने को मिल रही हैं जबकि अन्य हिस्सों में हालात अपेक्षाकृत शांत हैं।
बांग्लादेश में हालिया हिंसा की शुरुआत भारत विरोधी छात्र नेता उस्मान हादी की मौत के बाद हुई। बीते सप्ताह 12 दिसंबर को हादी को गोली मार दी गई थी। गंभीर हालत में उसे इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया, जहां गुरुवार को उसकी मौत हो गई। हादी की मौत की खबर फैलते ही उसके समर्थकों ने ढाका समेत कई शहरों में जमकर उत्पात मचाया।
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गुरुवार रात हालात और बिगड़ गए जब दंगाइयों ने मीडिया हाउसों और सांस्कृतिक केंद्रों को आग के हवाले कर दिया। बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के आवास को भी निशाना बनाया गया। हिंसा के दौरान अल्पसंख्यक समुदाय पर हमले की घटनाएं सामने आईं। एक हिंदू युवक को ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीटकर मार डाले जाने की घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ा दी है।






