नवभारत डिजिटल डेस्क: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi) की मौत (Death) के बाद ईरान में शोक का माहौल है। ईरान के राष्ट्रपति की मौत एक हादसे के दौरान हेलीकॉप्टर क्रैश में हुई, यह खबर सोमवार को सुबह सामने आई। जबकि रविवार देर शाम यह खबर आई थी कि ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का हेलीकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। इस हादसे में ईरान के विदेश मंत्री होसैनी अमीर अब्दुल्लाहियान की भी मौत हो गई। दुर्घटना में कुल 9 लोगों की मौत हुई। इस हादसे के पीछे किसका हाथ है अब इसकी भी जांच की जा रही है। इजरायल के आलावा ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खामनेई के बेटे पर भी साज़िश का संदेह जताया जा रहा है।
हादसा या हत्या की साज़िश
मीडिया रिपोर्ट में हेलीकॉप्टर क्रैश होने के कारण को मौसम की खराबी बताया गया, लेकिन अमेरिका के हवाले से इस खबर का दावा किया गया कि ईरान के राष्ट्रपति की मौत के पीछे साजिश भी हो सकती है, हालांकि ईरान के अधिकारियों की हवाले से न्यूज़ एजेंसी की रिपोर्ट में यह दावा किया गया कि जांच के बाद ही इस बारे में जानकारी सामने आएगी। फिलहाल यह हादसा मौसम की खराबी से हुआ दिखाई पड़ रहा है। सूत्रों के हवाले से खबर यह भी थी कि इस दुर्घटना के पीछे इजराइल का हाथ हो सकता है। वहीं ईरान के एक्टिविस्ट इसे सत्ता की लड़ाई के एंगल से भी देख रहे हैं।
अयातुल्ला खामनेई के बेटे पर भी साज़िश का संदेह
ईरानी अखबार में ईरानी एक्टिविस्ट के हवाले से यह दावा किया गया है कि ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के हेलीकॉप्टर क्रैश करने के पीछे अयातुल्ला अली खामनेई के बेटे मोजताबा का हाथ हो सकता है फिलहाल ये जांच का विषय है। दरअसल ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्ला खान के बाद ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी दूसरे नंबर के नेता माने जाते थे। ऐसे में अयातुल्ला के बाद सुप्रीम लीडर की पोजीशन रईसी को ही मिलेगी यह संभावना भी जताई जा रही थी, लेकिन सुप्रीम लीडर अयातुल्ला का बेटा वो जगह पाना चाहता है। वहीं ईरान के भीतर ही बड़ी संख्या में लोग अयातुल्ला के बेटे को उनके उत्तराधिकार के तौर पर नहीं देखना चाहते हैं। लोगों का मानना है कि सुप्रीम लीडर की पदवी पर भाई भतीजावाद नहीं होना चाहिए।
कौन होगा नया राष्ट्रपति
वैसे ईरान के संविधान की अगर बात करें तो राष्ट्रपति की मौत के बाद उपराष्ट्रपति 50 दिन तक सत्ता संभालते हैं और उसके बाद चुनाव की प्रक्रिया शुरू होती है। आम जनता जिसे राष्ट्रपति चुनेगी वह नया राष्ट्रपति बन जाएगा, लेकिन ईरान के लिए यह सब कुछ इतना आसान नहीं होने वाला है, क्योंकि वहां सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह के नेतृत्व में ही चुनावी प्रक्रिया को अंजाम दिया जाता है। पिछली बार चुनाव में आम जनता ने चुनाव का बहिष्कार किया था।