इंसान ने AI को हराया। (सौ. X)
AI vs Human: पूरी दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) को लेकर गहरी चर्चा है। कंपनियां लगातार ऐसे AI सिस्टम तैयार करने की होड़ में हैं जो इंसानों से ज्यादा स्मार्ट और तेज़ हों। लेकिन हाल ही में एक घटना ने ये साबित कर दिया कि चाहे AI कितना भी उन्नत क्यों न हो, इंसानी दिमाग की गहराई को पूरी तरह नहीं छू सकता।
टोक्यो में आयोजित AtCoder World Tour Finals 2025 Heuristic Competition में AI और इंसान के बीच दिलचस्प मुकाबला देखने को मिला। इस मुकाबले में OpenAI के कस्टम AI मॉडल को पोलैंड के प्रोग्रामर प्रजेमिस्लाव डेबियाक (Psyho) ने शिकस्त दी। Psyho की यह जीत अब दुनियाभर में चर्चा का विषय बनी हुई है।
पूर्व OpenAI कर्मचारी रह चुके Psyho ने इस मुकाबले के बाद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट साझा की। उन्होंने लिखा – “Humanity wins (for now).” साथ ही, उन्होंने अपनी जीत का स्क्रीनशॉट भी साझा किया जिससे यह स्पष्ट हो गया कि इंसानी दिमाग अभी भी मुकाबले में आगे है।
Update: I’m alive and well The results are official now and my lead over AI increased from 5.5% to 9.5%😎 Honestly, the hype feels kind of bizarre. Never expected so many people would be interested in programming contests. Guess this means I should drop in here more often👀 pic.twitter.com/RsLD8lECNq — Psyho (@FakePsyho) July 17, 2025
इस प्रतियोगिता में प्रतिभागियों को लगभग 600 मिनट का समय दिया गया था, जिसमें एक जटिल समस्या का समाधान खोजना था। Psyho ने इस कठिन चुनौती को न केवल पूरा किया, बल्कि AI मॉडल से बेहतर प्रदर्शन करते हुए जीत हासिल की।
इस मुकाबले ने 1870 की अमेरिकी लोककथा जॉन हेनरी की याद दिला दी, जिन्हें “स्टील ड्राइविंग मैन” कहा जाता है। उस समय अमेरिका में रेलवे ट्रैक बिछाए जा रहे थे और चट्टानों को तोड़ने के लिए इंसानों का सहारा लिया जाता था।
जब एक कंपनी भाप से चलने वाली ड्रिल मशीन लाई, तो जॉन हेनरी ने चुनौती दी कि वह मशीन से बेहतर काम कर सकते हैं। मुकाबला शुरू हुआ और जॉन ने मशीन से तेज़ काम करते हुए जीत हासिल की। हालांकि, यह जीत उनके जीवन की अंतिम जीत साबित हुई।
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AI की तरक्की जहां अद्भुत है, वहीं Psyho जैसी जीतें यह याद दिलाती हैं कि इंसानी सोच, तर्क और जज़्बा अभी भी इस रेस में निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं।