चौथी बड़ी इकोनॉमी होने पर भी (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: विश्व की चौथी बड़ी अर्थव्यवस्था होने के बावजूद भारत पर रोजगार विहीन विकास या जॉबलेस ग्रोथ का ठप्पा लगा है।मासिक सर्वेक्षण के अनुसार अप्रैल की तुलना में मई माह में बेरोजगारी की दर आधा प्रतिशत और बढ़ गई।यह निष्कर्ष ग्रामीण व शहरी क्षेत्रों में 3,79,600 लोगों का सर्वेक्षण करने से सामने आया।देश में 15 से 59 वर्ष आयु के बीच के 96 करोड़ लोग हैं जो कुल आबादी का 61 प्रतिशत है।कुशलता के अभाव में इनमें से केवल 51.25 प्रतिशत लोग ही रोजगार पा सके हैं।देश में 15 से 29 वर्ष की आयु के युवाओं में सर्वाधिक बेरोजगारी है।
मई महीने में शहरी क्षेत्र में बेरोजगारी 17.2 से बढ़कर 17.9 प्रतिशत हो गई, जबकि ग्रामीण क्षेत्र में 12.3 से बढ़कर 13.7 प्र.श।पर पहुंच गई।रबी का मौसम खत्म होने तथा तेज गर्मी पड़ने से ग्रामीण बेरोजगारी का आंकड़ा बढ़ा होगा।देश में 12वीं के पहले ही पढ़ाई छोड़ देनेवालों की संख्या 3.50 करोड़ के आसपास है, जो रोजगार पाने की इच्छा रखते हैं।स्नातक 22 या 23 वर्ष की आयु में नौकरी खोजते हैं, किंतु हुनर के अभाव में उन्हें निजी क्षेत्र में नौकरी मिल नहीं पाती।शिक्षित युवाओं की भी बेरोजगारी चिंता का विषय है।युवाओं की खेती-किसानी में रुचि नहीं है।
शहरी इलाकों में रोजगार का मुख्य जरिया सेवा क्षेत्र है।अगले 5 वर्षों में ग्रामीण इलाकों से 40 फीसदी से ज्यादा आबादी शहरों में चली आएगी।इसका शहरों पर दबाव बढ़ेगा।युवाओं में 60 से 70 प्रतिशत डिजिटल निरक्षरता भी बढ़ती बेरोजगारी की एक बड़ी वजह है।इसे देखते हुए सूक्ष्म, लघु व मध्यम उद्योगों को बढ़ाना होगा, जिससे रोजगार का अवसर उत्पन्न हो और उत्पादन भी बढ़े।डिजिटल साक्षरता बढ़ाने और तकनीकी शिक्षा को प्रमुखता देकर रोजगार निर्माण करने की चुनौती नीति निर्माताओं के सामने है।देश में इंजीनियरिंग की डिग्री लेकर भी युवा बेरोजगार हैं।इंजीनियरिंग कॉलेजों में सीटें खाली रह जाती हैं।
मेडिकल क्षेत्र में डेढ़ लाख विद्यार्थियों को शिक्षा उपलब्ध है लेकिन उनमें प्रवेश व शैक्षणिक खर्च बड़ी बाधा है।भारत में मेडिकल पढ़ाई महंगी होने से युवा यूक्रेन, रूस, चीन, बेलारूस, ईरान या इजराइल जाकर एमबीबीएस करते हैं।90,000 मेडिकल सीट के लिए 12 लाख से ज्यादा विद्यार्थी नीट परीक्षा में उत्तीर्ण हुए, जिन्हें सीट नहीं मिली वह विदेश जाकर पढ़ने को मजबूर होते हैं।