मध्यप्रदेश में सर्पदंश घोटाला (सौ. डिजाइन फोटो)
नवभारत डिजिटल डेस्क: पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘निशानेबाज, जहां मुआवजा देने का प्रावधान हो, वहां घोटाला होने की पूरी गुंजाइश रहती है। मध्यप्रदेश के सिवनी जिले में 11.26 करोड़ रुपए का सर्पदंश घोटाला हुआ है। सांप काटने से किसी व्यक्ति की मौत होने पर सरकार 4 लाख रुपए मुआवजा देती है। इसका फायदा उठाने के लिए एक ही व्यक्ति सांप काटने से बार-बार मरता है। सरकारी रिकार्ड के मुताबिक वहां द्वारकाबाई नामक महिला को सांप ने 29 बार काटा। इसके 29 प्रकरण बनाकर सरकारी खजाने से करोड़ों की रकम निकाली गई। रमेश को 30 बार तथा रामकुमार को 19 बार सांप काटने से मरा बताकर मोटी रकम का गबन किया गया।’
हमने कहा, ‘इसके लिए एसआईटी गठित कर पता लगाना चाहिए कि लोग सांप काटने से मरने के बाद फिर कैसे जिंदा हो जाते हैं और उनके नाम पर बार-बार लगातार मुआजता कैसे लिया जाता है? इसके लिए बीन बजाकर सांप को बुलाना चाहिए और उसका स्टेटमेंट रिकार्ड करना चाहिए कि क्या उसके जहर में मिलावट है। वह जिसे काटता है वह मरकर फिर क्यों जिंदा हो जाता है?’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, कहावत है जैसे सांपनाथ वैसे नागनाथ! जब पूजा करनी होती है तो सर्प को नागदेवता कहते हैं। शेषनाग भगवान शिव के गले का हार हैं। लक्ष्मण और बलराम को शेषावतार माना जाता है।
पुराणों के अनुसार शेष के फन पर धरती टिकी है। जब वह फन हिलाता है तो भूकंप आता है। भगवान विष्णु शेषशय्या पर लेटे रहते हैं। राजा परिक्षित की तक्षक नाग के डसने से मृत्यु हुई थी। यदि परीक्षित हस्तिनापुर की बजाय मध्यप्रदेश के सिवनी में रहते तो सरकारी विभाग उन्हें सर्पदंश से मृत बताकर बार-बार जीवित करता और उनके नाम पर लगातार मुआवजे की रकम हजम करता रहता।’ हमने कहा, ‘सर्पदंश घोटाला करनेवालों ने 47 लोगों को कई बार दस्तावेजों में मारा। सरकारी रिकार्ड पर कोई कैसे उंगली उठा सकता है? किसी अनपढ़ का अंगूठे का निशान लगवाकर रकम उठा ली गई होगी।
ग्रामीण क्षेत्र में जो न हो, वह थोड़ा! कहीं ऐसा न हो कि किसी सांप को इस भ्रष्टाचार का पता लगने पर वह घोटालेबाज सरकारी कर्मचारी को सचमुच आकर काट ले। कर्म का फल अवश्य भोगना पड़ता है। कोई भ्रम में पड़कर अंधेरे में रस्सी को सांप समझ लेता है लेकिन यहां तो ऐसे लोग हैं जिन्होंने सर्पदंश के नाम पर करोड़ों रुपए के फर्जी बिल बनाकर रकम हड़प ली।’ पड़ोसी ने कहा, ‘निशानेबाज, ऐसे भी नादान होते हैं जो बिच्छू का मंत्र नहीं जानते लेकिन सांप के बिल में हाथ डालने की बेवकूफी करते हैं।’
लेख-चंद्रमोहन द्विवेदी के द्वारा